अध्याय 48
1 [वै]
तथा वयूढेष्व अनीकेषु कौरवेयैर महारथैः
उपायाद अर्जुनस तूर्णं रथघॊषेण नादयन
बडे़ होने पर कृष्ण ने कंस का वध किया, नाना उग्रसेन को गद्दी पर बैठाया, देवकी के मृत पुत्रों को लेकर आए और माता-पिता को कारागार से मुक्ति दिलाई। कन्हैया के मित्र तो गोकुल के सभी बालक थे, लेकिन सुदामा उनके कृपापात्र रहे। अकिंचन सुदामा को वैभवशाली बनाने में दामोदर ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। श्रीकृष्ण के जीवन में राधा प्रेम की मूर्ति बनकर आईं। जिस प्रेम को कोई नाप नहीं सका, उसकी आधारशिला राधा ने ही रखी थी।
अकबर ने बीरबल का मजाक बनाने के उद्देश्य से महल के बाहर बने एक हौज में 20 अंडे डलवा दिए और 20 ही दरबारियों को वहां खड़ा करके हुक्म दिया – “एक-एक कर कूदो और एक-एक अंडा निकाल लो|”
1 [स]
अभिमन्यू रथॊदारः पिशंगैस तुरगॊत्तमैः
अभिदुद्राव तेजस्वी दुर्यॊधन बलं महत
विकिरञ शरवर्षाणि वारिधारा इवाम्बुदः
“Dhritarashtra said, ‘Kicked at the head, his thighs broken, prostratedon the ground, exceedingly proud, what, O Sanjaya, did my son then say?
इस रोग में व्यक्ति को बेहोशी छा जाती है| वह निष्प्राण-सा पड़ा रहता है| ऐसे समय में रोगी को किसी आरामदायक एवं सुरक्षित स्थान पर लिटाना चाहिए| उसके चारों ओर भीड़ नहीं लगनी चाहिए|
1 [कृप]
दिष्ट्या ते परतिकर्तव्ये मतिर जातेयम अच्युत
न तवा वारयितुं शक्तॊ वज्रपाणिर अपि सवयम