Homeतिलिस्मी कहानियाँ07 – लालची राजा | Lalchi Raja | Tilismi Kahaniya

07 – लालची राजा | Lalchi Raja | Tilismi Kahaniya

वही जब सभी लोग घर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि करण की मां घर में पहुंच चुकी है और वह उस कमरे का दरवाजा खोलने ही वाली है जिस कमरे में लव कैद है।

करण (चिल्लाते हुए): “माँ, रुकिए! दरवाजा मत खोलना!”

करण की मां (मुड़ कर पीछे देखती है और कहती है): “आखिर क्या बात है? मैं दरवाजा क्यों नहीं बोल सकती करण?”

तभी लव दरवाजा तोड़कर बाहर आ जाता है और वो करण के ऊपर हमला करने लगता है लेकिन तभी करण जल्दी से वह ओम का लॉकेट उसके गले में डाल देता है जिससे वह होश में आ जाता है, लेकिन जब वह होश में आया तो उसे कुछ भी याद नहीं था।

यह सब देखकर करण की मां बहुत डर जाती है लेकिन वह अपनी मां को बहुत समझाता है और सुनहरी नीली चिड़िया के बारे में सब कुछ बता देता है।

करण: “मां! मैं राजकुमारी चन्दा को बचाने के लिए एक सफर में जाने वाला हूं, जिसके लिए मुझे आपकी अनुमति भी चाहिए।”

करण की माँ: “नही नही! बिल्कुल नही।”

करण: “मां मुझे जाने दीजिए, मैं वादा करता हूं कि मैं अपने मित्रो के साथ विजयी होकर ही लौटूंगा। वैसे भी मेरे ऊपर तो हमेशा आपका हाथ रहता है ना, तो भला मैं कैसे हार सकता हूं?”

करण की मां (रोते हुए अपने बेटे के सर पर हाथ रखते हुए): “ठीक है बेटा, भोलेनाथ तेरे काम को सफल करें!”

करण (अपनी मां को वही माला देते हुए): “इसको हमेशा अपने गले में पहने रखना माँ, ये माला आपकी हमेशा रक्षा करेगा!”

वह सुनहरी नीली चिड़िया और उसके सारे मित्र भी उसकी माँ को एक काम के लिए राजी कर लेते हैं

वही दूसरी ओर थोड़ी देर बाद सभी मित्र भी अपने माता-पिता से करण के साथ जाने की अनुमति लेकर वापस आ जाते हैं और अब सभी लोग अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं।

करण इस यात्रा में उस तलवार को भी ले जाता है जो तलवार उन्हें उस आदमी के घर में मिली थी वही उसके सारे मित्र भी अपने साथ एक एक हथियार और कुछ सामान अपने साथ लेकर चलते हैं।

सफर लंबा था और सभी को एक वाहन तो चाहिए था जिसमें सभी लोग बैठ कर यह लंबा सफर तय कर सके लेकिन उन सभी के पास पैसे नहीं थे कि वे एक वाहन खरीद सकें।

थोड़ी देर बाद चिड़िया कहीं से एक लाल पोटली लेकर आती है जिसमें बहुत सारे सोने और जेवरात रखे हुए थे।

सुनहरी चिड़िया: “यह लो करण, यह मेरे पिताजी का है। उन्होंने बहुत सारा खजाना जमीन के नीचे गाड़ा हुआ था और मुझे पता है कि वह सब कहां है, तुम इसे रख लो, यह हमारे इस सफर में बहुत कम आने वाला है।”

तों करण और उसके मित्र उस पोटली में से कुछ सोने के सिक्के निकालते है और एक तांगा खरीद कर ले आते है, जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था।

तों सभी दोस्त लोग तांगे पर बैठते हैं और अपना सफर शुरू कर देते हैं इस सफर में करण का पालतू पशु टॉबी भी था।

टॉबी (खुश होते हुए): “कितना सुंदर तांगा है करण, चलो जल्दी से बैठते है अब।”

करण (टॉबी के सिर पर हाथ रखते हुए): “हाँ, टॉबी!”

वहीं सुनहरी नीली चिड़िया काफी प्रसन्न हो रही थी कि उसे अब श्राप से मुक्ति मिलने वाली थी लेकिन वह इस बात से भी अप्रसन्न भी थी कि उसे और उसके दोस्तों को इस लंबे सफर में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

तभी वह लोग अपनी तांगे पर बैठकर जंगल के रास्ते से जा रहे थे कि अचानक से एक तीर उडकर आता है और वह तीर उनके तांगे के पहियों पर आकर फस जाता है जिससे तांगा वहीं पर पलट जाता है।

सभी को हल्की चोटें आई थी लेकिन ना जाने क्यों किसी को दर्द नहीं हो रहा था!

दरअसल बात यह थी कि उस सुनहरी नीली चिड़िया के उनकी जिंदगी में आने के बाद उन सभी को एक जादुई शक्ति प्राप्त हो गई थी।

टॉबी: “मैंने अभी एक आदमी को देखा था उसी ने तीर मारा है लेकिन वह भी कहीं छुप गया है!”

उस सुनहरी नीली चिड़िया की विवेक शक्ति काफी तेज थी यानि कि वह अपनी इंद्रियों का इस्तेमाल बहुत अच्छे से कर सकती थी इसीलिए उसे पता चल जाता है कि वह आदमी कहां पर है!

तो सुनहरी नीली चिड़िया झाड़ियों के पास जाती हैं।

चिड़िया: “तुम इसी झाड़ियों के पीछे छुपे हो, बाहर निकलो! जल्दी”

तभी एक आदमी जल्दी से झाड़ियों से बाहर निकलता है और चिड़िया को पकड़ लेता है।

जयदेव: “छोड़ दे उसे!”

वह आदमी: “मेरा नाम बलराम है, तुम लोग मेरे साथ चलो, तुम सभी को मेरा एक काम करना होगा नहीं तो मैं इस चिड़िया को और तुम सभी को जान से मार दूंगा।”

तभी करण उस आदमी से लड़ने लगता है लेकिन वह गुस्से में उस चिड़िया को जोर से अपने हाथों से दबाने लगता है और ये देखकर करण भी मजबूर हो जाता है और अपने घुटने टेक देता हूं।

करण: “ठीक है हम तुम्हारे साथ चलेंगे परंतु उस चिड़िया को कुछ मत करो!”

बलराम: “यह हुई ना बात!”

तो इसके बाद सभी दोस्तों को ना चाहते हुए भी बलराम के घर जाना पड़ता है जब वे बलराम के घर जाते हैं तो देखते हैं कि बलराम का घर काफी बड़ा है। दरअसल बलराम एक जमींदार है और उसने कई लोगों की जमीन बड़ी चालाकी से अपने नाम भी की थी, जिसकी कीमत उसे अपनी छोटी बहन जानकी माया को खोकर चुकानी पड़ी थी।

तभी वह उन सभी दोस्तों को एक कमरे में ले जाते हैं जहां पर एक शीशा रखा हुआ था जिसे उसने एक कपड़े से ढक रखा था।

उस कपड़े को शीशे से हटाता है।

बलराम: “यह देखो यह मेरी बहन है, दरअसल मैंने एक पवित्र जगह को हड़प लिया था जिसमें बहुत सारे साधु बाबा तपस्या किया करते थे लेकिन मैंने उन्हें वहां से भगा दिया था जिसके कारण उन्होंने मुझे श्राप दिया था कि जिससे मै सबसे ज्यादा प्यार करता हूं वो घर के शीशे में कैद हो जाएगी।”

जयदेव: “गलत का नतीजा गलत ही होता है।”

बलराम: “मुझे एक आदमी मिला था जिसने मुझे बताया कि एक लड़का उसी जंगल के रास्ते अपने मित्रो के साथ एक चिड़िया को लेकर जा रहा होगा और वो ही मेरी मदद कर सकता है।”

दरअसल वह आदमी जिसने बलराम को ये सब बताया था वो भी उस जादूगर की ही चाल थीं।

लेकिन किसी को भी ये बात पता नही थी।

अब अगले एपिसोड में हम यह जानेंगे कि कौन था, वह आदमी जिसने बलराम को यह सब बताया?

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08 - समुंद