भाई मल्ल को उपदेश देना – साखी श्री गुरु अमर दास जी
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एक बार एक सिक्ख जिसका नाम भाई मल्ल था| वह गुरु जी के पास आया| उसने गुरु जी से पूछा, महाराज! मेरा मन भटकन में रहता है|
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भटकन के कारण अशान्ति रहती है| मन में कलह-कलेश की भावना रहती है| आप ऐसा कोई उपदेश दें जिससे मन को शान्ति प्राप्त हो| गुरु जी मुस्कुरा पड़े और कहने लगे, “सबसे पहले तो आप अपने अंदर का अहम भाव त्यागें| अहंम भाव के समाप्त होते ही अंदर निमाणपन व नम्रता का भाव पनप उठेगा| श्रद्धा व सत्कार के साथ संतों की सेवा करो| अन्न व वस्त्र का दान करो| आप सत्यनाम का स्मरण करो| मन को शान्ति अवश्य मिलेगी| गुरु जी के ऐसे बचन सुनकर भाई मल्ल गद-गद हो गया|
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