सच्चे वैरागी बनने का उपदेश – साखी श्री गुरु नानक देव जी
श्री गुरु नानक देव जी ने उत्तर दिशा की यात्रा समाप्त कर दी| कुछ समय करतारपुर की संगतों का कल्याण करते रहें
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करतारपुर से आप तलवंडी पहुंच गए| वहां पहुंचकर वेशाखी सम्वत १५७६ का मेला कटास राज जिला जेहलम में जाकर किया| वहां बहुत से सन्यासी एकत्रित थे| गुरु जी ने उनको समझाया कि जो लोग गृहस्थ के दुखों से डरकर भाग जाते हैं| अपना घर-परिवार छोड़ देते है व वैराग्य धारण कर लेते है वे मंद वैरागी होते है| जिसका फल भी कम होता है|
परन्तु दूसरी ओर जो लोग परमात्मा की याद में अपनी लिव जोड़े रखते है, घर के सभी सुखों को त्याग कर उपराम हो जाते है वे सच्चे वैरागी होती है| संन्यासी को सच्चा वैराग्य ही धारण करना चाहिए|
श्री गुरु नानक देव जी – जीवन परिचयश्री गुरु नानक देव जी – ज्योति ज्योत समाना
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