HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 72)

एक महात्मा रात-दिन एक जंगल में साधना करते रहते थे। एक दिन उस राज्य का राजा उस जंगल में कहीं से घूमता हुआ पहुंचा। एक निर्जन स्थान पर महात्मा जी को भक्ति में लीन देखकर वह सोचने लगा कि यह आखिर कैसे गर्मी, सर्दी, बरसात और हर तरह के कष्ट सहते हुए अपने लक्ष्य को साधने में लगे हुए हैं?

सूफी-संतों में राबिया का स्थान बहुत ऊंचा था| वे बड़ी सादगी का जीवन बितातीं थीं और सबको बेहद प्यार करती थीं| ईश्वर में उनकी अगाध श्रद्धा थी| उन्होंने अपना सब कुछ उन्हीं को सौंप रखा था|

बंगाल के एक सुन्दर गांव में एक निर्धन ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ बहुत तंगहाली में रह रहा था| दोनों घर-घर जाकर भिक्षा मांगते, तब कहीं उन्हें दो जून रोटी नसीब होती थी|

एक छोटी व शांत पहाड़ी पर एक बैरागी रहते थे। उनकी आत्मा शुद्ध और हृदय निर्मल था। उस हरे-भरे एकांत में वे अकेले प्रभुभक्ति में रमे रहते। वे न कहीं आते-जाते और न ही उनकी विशेष आवश्यकताएं थीं। अपनी सीमित जरूरतों को वे वहीं पूर्ण कर लेते थे। वन के पशु और आकाश के पक्षी सभी उनके पास आते और वे उनसे खूब बातें करते।

किसी जगह डाकुओं का एक दल था| उस दल का सरदार बड़ा खूंखार था| चारों ओर उसका इतना आतंक था कि लोग उसके नाम से थर-थर कांपते थे| एक दिन उसने अपने एक साथी को आदेश दिया कि वह अमुक दिन, अमुक जगह पर मिले| जिस दिन साथी को जाना था, उससे एक दिन पहले उसकी पत्नी बहुत बीमार हो गई, पर सरदार की आज्ञा तो पत्थर की लकीर थी| उसे कौन टाल सकता था| स्त्री को बुरी हालत में छोड़कर वह नियत दिन, नियत स्थान पर पहुंच गया|

कई वर्ष पहले, एक घने जंगल में चार चोर रहते थे| चुराया हुआ धन वे एक साधारण से बर्तन में रखते थे लेकिन उसकी हिफाजत जान से भी ज्यादा करते थे| कुछ अरसे बाद उनका मन चोरी-चकारी से उब गया|

सड़क पर चलते हुए एक पथिक की भेंट पास के गांव में रहने वाले एक आदमी से हुई। पथिक ने विस्तृत क्षेत्र की ओर संकेत करते हुए उससे पूछा- यह वही युद्धक्षेत्र है न, जहां सम्राट आलम अपने शत्रुओं पर विजयी हुआ था? उस आदमी ने उत्तर दिया- नहीं, यह कभी युद्धक्षेत्र नहीं रहा। यहां पर तो जाद नाम का एक बड़ा शहर था, जो जलाकर खाक कर दिया गया। इसीलिए अब यह बड़ी उपजाऊ भूमि है। पथिक आगे बढ़ गया।

19वीं शताब्दी के भारतीय संतो, सुधारकों और चिन्तकों में स्वामी रामतीर्थ की गिनती की जाती है| उन्हें ‘बादशाह राम’ के नाम से उनके समय की जनता पुकारती थी| वह एक बार देशाटन करते हुए ऋषिकेश पहुँचे|

किसी होटल के मालिक ने एक लड़का नौकर रखा| उसकी उम्र अधिक नहीं थी| वह लड़का बड़ा भला और भोला था, बहुत ही ईमानदार और मेहनती था| एक दिन वह लड़का शीशे के गिलास धो रहा था|