HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 62)

एक बार युधिष्ठिर ने राजसूर्य यज्ञ करवाया| बहुत-से लोगों को आमंत्रित किया| भगवान श्रीकृष्ण भी आए| उन्होंने युधिष्ठिर से कहा – “सब लोग काम कर रहे हैं| मुझे भी कोई काम दे दीजिए|”

शाम से ही मंदिर में भीड़ लगी हुई थी। मंदिर के बाहर जनसमुदाय उमड़ पड़ा था। भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए तथा जनता के जानमाल की रक्षा के लिए कई पुलिस कांस्टेबल भाग-दौड़ रहे थे।

प्राचीन काल में भुवनेश नाम का एक धार्मिक राजा हुआ था| उसने हजार अश्वमेघ और दस सहस्त्र वाजपेय यज्ञ किये थे तथा लाखों गायों का दान किया था|

बहुत पुरानी बात है| किसी पहाड़ी प्रदेश में एक राजा राज किया करता था| एक बार उसके राज्य पर दूसरे राजा ने चढ़ाई कर दी| उसे भगाने के लिए राजा ने एक सेना तैयार की| उसमें जो लोग भर्ती हुए, उन सबको उसने एक-एक तलवार दी|  फिर राजा ने आदेश दिया – “आगे बढ़ो!”

कौशल नरेश मल्लिक न्यायप्रिय और शक्तिशाली राजा था| लेकिन उसे अपनी योग्यता पर बिल्कुल भी भरोसा नही था| वह सोचता, ‘लोग उसे अच्छा कहते है, क्या मैं सचमुच ही अच्छा हूँ?’

दो चींटियां आपस में बातें कर रही थीं। एक ने कहा- बस मुझे एक ही कष्ट है कि मेरा मुंह हर समय खारा ही रहता है। यह सुन दूसरी चींटी ने उसे मीठा पदार्थ खाने को दिया, लेकिन फिर भी उसका कष्ट दूर नहीं हुआ।

भगवती अन्नपूर्ण काशीपुरी में आ चुकी थीं| यहीं पर उन्होंने भगवान् शंकर से पूछा-‘भगवन् आप अपने भक्तों को किस उपाय से दर्शन देते हैं और उनके वश में हो जाते हैं?’