HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 28)

पिछले दिनों देश में बूढ़ी-प्रौढ़ों को पढ़ाने का आंदोलन काफी चला| एक गाँव में चल रहे प्रौढ़ शिक्षा केंद्र को देखने जब एक निरीक्षक दल पहुँचा, तब दरवाजे पर मुख्य निरीक्षक को 94 साल के वृद्ध सज्जन मिले|

यह घटना अंग्रेजी शासन काल की है| प्रसिद्ध काकेरी षड्यंत्र कांड के माध्यम से विदेशी अंग्रेजी शासन से जुझने वाले सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी श्री रामप्रसाद बिस्मिल के जीवन-निर्माण में महर्षि दयानंद सरस्वती और आर्यसमाज का यजस्वी योगदान रहा है|

अपने समय के कुख्यात डाकू सुल्ताना को बड़ी मुश्किल से मुखबिरों के द्वारा पकड़ा गया| जंजीरों में बाँधकर उसे जेल में ले जाया गया| उस पर मुकदमा चला|

भारतीय राजनीति में लिबरल (उदार) के रुप में सुप्रसिद्ध श्रीनिवास शास्त्री उन दिनों मद्रास विश्वविद्यालय के उपकुलपति थे| वह न केवल नाम से उदार थे, व्यवहार में भी उनकी उदारता देखते ही बनती थी|

एक समय की बात है| प्रदीप खन्ना नाम के सज्जन दमे के मरीज़ थे| उन्हें अक्सर अपनी सांस रुकने पर कृतिम ऑक्सीजन–प्रणाली का सहारा लेना पड़ता था|

प्राचीन समय की बात है| एक साधु बहुत बूढ़े हो गए थे| उनके जीवन के आखिरी क्षण निकट आ पहुँचे| आखिरी क्षणों में उन्होंने अपने शिष्यों को अपने पास बुलाया| जब उनके पास सब आये, तब उन्होंने अपना पोपला मुहँ पूरा खोल दिया और शिष्यों से बोले- “देखो, मेरे मुँह में कितने दाँत बच गए हैं?”

छान्दोग्य उपनिषद की कहानी है| एक बार जबाला नामक महिला के पुत्र सत्यकाम ने माँ से पूछा- “माँ, मेरी इच्छा ब्रह्मचर्य धारण करने की है| गुरु के पास जाऊँगा तो वह मुझसे पूछेंगे कि तुम्हारा क्या गोत्र है?

बौद्ध वाड्मय जातक की एक कथा है| एक बार वाराणसी के राजा ब्रह्मदत्त अपनी न्यूनता और दोष ढूँढने के लिए उत्तर भारत के कई नगरों में गए| उन्हें उनके दोष कहने वाला कही कोई नहीं मिला|