बेवजह की हमदर्दी – शिक्षाप्रद कथा
एक पेड़ के नीचे एक सुअरी बैठी थी| सुअरी के साथ उसके छोटे-छोटे बच्चे भी थे| वह अपने बच्चों को दूध पिला रही थी|
एक पेड़ के नीचे एक सुअरी बैठी थी| सुअरी के साथ उसके छोटे-छोटे बच्चे भी थे| वह अपने बच्चों को दूध पिला रही थी|
एक बार एक गधा और बंदर किसी वृक्ष की छांव में बैठे हुए थे| वे आपस में विभिन्न विषयों पर बात कर रहे थे| वे आपस में विभिन्न विषयों पर बात कर रहे थे| अचानक बातचीत का रुख व्यक्तिगत शारीरिक संरचना ने ले लिया| विषय उठा कि दूसरे जानवर किस प्रकार उनके अनाकर्षक शरीर को देखकर हंसते हैं|
एक समय की बात है, किसी व्यक्ति के पास एक गधा था| गधा बहुत परिश्रमी था| मगर मालिक इतना कठोर हृदय था कि गधे से दिन-रात कड़ी मेहनत करवाने के बाद भी उसे भर पेट भोजन नहीं देता था| परिणाम यह हुआ कि गधा धीरे-धीरे दुर्बल हो गया|
एक बार एक सिंह और एक भालू जंगल में अपने शिकार की तलाश में घूम रहे थे| दोनों ही भूख से व्याकुल थे| अचानक उन्हें एक हिरन का बच्चा दिखाई दिया| दोनों ने एक ही बार आक्रमण कर उस हिरण के बच्चे को मार दिया| परंतु बच्चा इतना छोटा था कि वह उन दोनों में से किसी के लिए भी पर्याप्त भोजन नहीं था|
एक समय की घटना है, एक बूढ़े आदमी ने अपनी बहुत सी सम्पत्ति अपने पुत्र के नाम कर दी| उसने अपनी वसीयत में लिखा कि उसकी सारी सम्पत्ति उसके मरने के बाद उसके पुत्र की हो जाएगी| और वसीयत करने के कुछ दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई|
एक बार एक भेड़िया किसी जंगली कुत्ते से युद्ध करते समय बुरी तरह घायल हो गया| वह इतना घायल था कि उसके लिए चलना-फिरना भी दूभर था| वह एक झरने से कुछ दूरी पर लेटा दर्द से कराह रहा था|
एक बार एक किसान ने पक्षियों को पकड़ने के लिए अपने खेत में जाल बिछाया| जाल में बहुत से पक्षी फंसे| फंसे हुए पक्षियों में जंगली कौए तो थे ही, बेचारा एक कबूतर भी फंसा पड़ा था|
एक बार एक भेड़िया किसी पहाड़ी नदी में एक ऊंचे स्थान पर पानी पी रहा था| अचानक उसकी नजर नीचे एक भोले-भाले मेमने पर पड़ी, जो पानी पी रहा था| भेड़िया मेमने को देखकर अति प्रसन्न हुआ और सोचने लगा – ‘वर्षों बीत गए, मैंने किसी मेमने का मांस नहीं खाया| यह तो छोटी उम्र का है|
किसी जंगल में एक कौआ रहता था| पूरा जंगल तरह-तरह के रंगीन पक्षियों से भरा पड़ा था| मगर पूरे जंगल में एक यही कौआ था – बिल्कुल काला भुजंग| कौआ भी अपने काले रंग के प्रति बहुत सचेत रहता था| अपने काले रंग के कारण वह हीनभावना से ग्रस्त रहता था|