धोबी का गधा – शिक्षाप्रद कथा
एक गांव में एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था| कुत्ता घर की रखवाली करता और गधे का काम धोबी के कपड़ों का गट्ठर अपनी पीठ पर लादकर लाना ले जाना था|
एक गांव में एक धोबी के पास एक गधा और एक कुत्ता था| कुत्ता घर की रखवाली करता और गधे का काम धोबी के कपड़ों का गट्ठर अपनी पीठ पर लादकर लाना ले जाना था|
बहुत पुरानी बात है, वर्धमानक नामक एक ग्रामीण व्यापारी अपनी बैलगाड़ी में बैठकर मथुरा की ओर जा रहा था|
गोलू और मोलू पक्के दोस्त थे| गोलू जहां दुबला पतला था, वहीं मोलू मोटा और गोल मटोल| दोनों एक-दूसरे पर जान देने का दम भरते थे|
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था| पहाड़ की तराई में बदगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घौंसला बनाकर रहता था|
एक बार राजा कृष्णदेव राय अपने दरबारियों के साथ अपने दरबार में किसी विषय पर विचार-विमर्श कर रहे थे कि सहसा उनके पास एक व्यक्ति आया और कहने लगा कि मैं घोड़ों का व्यापारी हूं|
राजा कृष्णदेव राय का दरबार हमेशा की तरह दरबारियों से सजा हुआ था|
रोजाना की भांति कृष्णा देव राय अपने दरबार में बैठे अपनी प्रजा के दुख-सुख सुन रहे थे कि तभी उनके दरबार में दो भाई आये|
किसी ने महाराज कृष्णदेव राय को एक तोता भेंट किया| यह तोता बड़ी मीठी और सुन्दर-सुन्दर बातें करता था| वह लोगों के प्रश्नों के उत्तर भी देता था|
तेनालीराम और राजा कृष्णदेव राय में एकबार किसी बात पर कहासुनी हो जाने पर तेनालीराम नाराज होकर कहीं चला गया|
एक बार राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबारियों से जादू का खेल देखने की इच्छा ज़ाहिर की|