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पुराण भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि है| पुराणों में मानव-जीवन को ऊंचा उठाने वाली अनेक सरल, सरस, सुन्दर और विचित्र-विचित्र कथाएँ भरी पड़ी है| उन कथाओं का तात्पर्य राग-द्वेषरहित होकर अपने कर्तव्य का पालन करने और भगवान् को प्राप्त करने में ही है| पद्मपुराण के भूमिखण्ड में ऐसी ही एक कथा आती है|

एक बार वायु में और सूर्य में इस बात पर विवाद हो गया कि शक्तिशाली कौन है? वायु ने कहा कि वे सर्वाधिक शक्ति-सम्पन्न है, सर्वश्रेष्ठ हैं| सूर्य हँस पड़े और कहा कि उन जैसा शक्तिशाली कोई नहीं| झगड़ा बढ़ गया|

वह भयानक सूअर गुर्राता हुआ अयोध्या पंहुचा और राजा के उपवन में घुसकर बिना भय के लता-वृक्षों  को तोड़ने-फोड़ने लगा| कुंजो को उसने नष्ट कर दिया और वृक्षों को जड़ सहित उखाड़ फेंका|

पुराने जमाने की बात है। एक सम्राट गहरी चिंता में डूबा रहता। कहने को तो वह शासक था पर वह अपने को अशक्त, परतंत्र और पराजित अनुभव करता था। एक दिन वह अपनी चिंताओं से पीछा छुड़ाने के लिए बहुत दूर एक जंगल में निकल पड़ा। उसे वहां बांसुरी के स्वर सुनाई पड़े। एक झरने के पास वृक्षों की छाया तले एक युवा चरवाहा बांसुरी बजा रहा था। उसकी भेड़ें पास में ही विश्राम कर रही थीं। सम्राट ने चरवाहे से कहा, ‘तुम तो ऐसे आनंदित हो जैसे तुम्हें कोई साम्राज्य मिल गया है।’

उपनायक जब राजा के पास दरबार में पंहुचा तो राजा हरिश्चन्द्र दरबार लगाये बैठे थे| उपनायक ने वंहा पहुंचकर फरियाद की, “महाराज की जय हो| महाराज! एक भयानक सूअर राजकीय उपवन में घुस आया है और भारीउत्पात मचा रहा है| सशस्त्र रक्षक भी उस सूअर से बाग की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं|

प्रसिद्ध विद्वान वाचस्पति मिश्र का विवाह कम आयु में ही हो गया था। जब वह विद्या अर्जित करके घर लौटे तो उन्होंने अपनी मां से वेदांत दर्शन पर ग्रंथ लिखने की आज्ञा मांगी। उन्होंने कहा कि जब तक उनका ग्रंथ पूरा न हो, तब तक उनका ध्यान भंग न किया जाए।