HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 105)

देवमाता दिति के दोनों दैत्यपुत्रों को भगवान विष्णु ने मार दिया| वे अपने सौतेले पुत्र इन्द्र से नाराज थीं, क्योंकि| उन्ही के सुरक्षा के लिए उनके पुत्र मारे गए थे| गुस्से में उन्होंने एक ऐसे पुत्र को जन्म देने का निश्चय किया, जो देवराज इन्द्र को मार सके|

किसी समय केदार पर्वत पर शुभनय नाम के एक महामुनि रहते थे| वे सदैव मंदाकिनी के जल में स्नान करते थे| उन्होंने अपनी इंद्रियों को वश में कर लिया था और कठोर तपस्या करते रहने के कारण उनकी काया कृश (दुबली-पतली) हो गई थी|

एक बार बुद्ध एक गांव में अपने किसान भक्त के यहां गए। शाम को किसान ने उनके प्रवचन का आयोजन किया। बुद्ध का प्रवचन सुनने के लिए गांव के सभी लोग उपस्थित थे, लेकिन वह भक्त ही कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। गांव के लोगों में कानाफूसी होने लगी कि कैसा भक्त है कि प्रवचन का आयोजन करके स्वयं गायब हो गया। प्रवचन खत्म होने के बाद सब लोग घर चले गए। रात में किसान घर लौटा। बुद्ध ने पूछा, कहां चले गए थे? गांव के सभी लोग तुम्हें पूछ रहे थे।

प्राचीन काल में उज्जयिनी नामक नगरी में मूलदेव नाम का एक ब्राह्मण रहता था| वह बहुत विद्वान एवं चतुर था| उसने शास्त्रार्थ में कई पंडितों एवं विद्वानों को परास्त कर रखा था| इसी कारण वह वेदों एवं शास्त्रों का प्रकांड पंडित माना जाने लगा था|

प्रवचन करते हुए महात्मा जी कह रहे थे कि आज का प्राणी मोह-माया के जाल में इस प्रकार जकड़ गया है कि उसे आध्यात्मिक चिंतन के लिए अवकाश नहीं मिलता।

मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा नगर है| वहाँ एक रेलवे-क्रासिंग पर रेलगाड़ी गुजरने का समय हो गया था| दोनों ओर के फाटक बंद कर दिये गए थे

एक राजा घोड़े पर सवार होकर जा रहा था| रास्ते में उसने एक बूढ़े व्यक्ति को आम का नन्हा पौधा रोपते हुए देखा| उसने सोचा कि इस बूढ़े को उस पेड़ से क्या लाभ|

किसी देश में एक बहुत ही न्यायप्रिय राजा था | वह अपनी प्रजा के हितों की रक्षा करना भली-भांति जानता था | उसने अनेक गुप्तचरों को नियुक्त कर रखा था, जो देश के लोगों के हालात की सही जानकारी दे सकें |