धोखेबाज
सागर के किनारे से थोड़ी दूर पर एक बड़ा वृक्ष था, जिस पर एक बन्दर रहता था| उस सागर में रहने वाला एक बड़ा मगरमच्छ एक दिन उस वृक्ष के नीचे ठंडी-ठंडी हवा का आनन्द ले रहा था|
सागर के किनारे से थोड़ी दूर पर एक बड़ा वृक्ष था, जिस पर एक बन्दर रहता था| उस सागर में रहने वाला एक बड़ा मगरमच्छ एक दिन उस वृक्ष के नीचे ठंडी-ठंडी हवा का आनन्द ले रहा था|
मगध की राजधानी में भगवान बुद्ध के प्रवचन सुनने भारी तादाद में लोग जुटते और उनके अमृत वचनों से लाभान्वित होते। थोड़े दिनों बाद बुद्ध ने अगले शहर जाने का विचार किया। अगले दिन के प्रवचन की समाप्ति पर बुद्ध ने वहां से जाने की घोषणा कर दी।
शाम का समय था| आंध्र प्रदेश के खम्माम जिले के माल्लेपानी जगह की बात है| दिन-भर पढ़ने के बाद एक चौदह वर्ष का बालक घर वापस आ रहा था|
जब पाँचों पाण्डव द्रौपदी सहित वन में अज्ञातवास कर रहे थे, तब उनके कष्टों को देखकर भगवान् श्रीकृष्ण तथा महर्षि व्यासजी ने अर्जुन से भगवान् शिव को प्रसन्न करके वर प्राप्त करने के लिये कहा तथा उसके लिये उपाय बताया|
अपने साधना-काल में एक दिन महावीर एक ऐसे निर्जन स्थान पर ठहरे, जहां एक यक्ष का वास था| वहां वे कोयोत्सर्ग मुद्रा में ध्यान-मग्न हो गए| रात को यक्ष आया तो वह अपने स्थान पर एक अपरिचित व्यक्ति को देखकर आग-बबूला हो गया| वह बड़े जोर से दहाड़ा| उसकी दहाड़ से सारी वनस्थली गूंज उठी|
बारह वर्ष का वनवास तथा एक वर्ष के अज्ञातवास के बाद जब पांडवों को उनका जुएँ में धोखे से छीना गया राज्य वापस न मिला, धृतराष्ट्र ने तब संजय को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजा|
गुजरात की राजमाता मीणलदेवी सदा दान-परोपकार में लगी रहती थी| वह एक बार सोमनाथ जी का दर्शन करने गई| अपने साथ वह सवा करोड़ सोने की मोहरें ले गई थी| उन्होंने वहाँ जाकर अपने भार का स्वर्ण तुला दान करवाया|
एक जिज्ञासु था। उसके मन में कई तरह के प्रश्न उठते थे। जिनके समाधान के लिए वह इस संत के पास तो कभी उस महात्मा के पास जाया करता था।
गौरैया चिड़िया का एक जोड़ा पीपल के पेड़ में घोंसला बनाकर रहता था| नर गौरैया अपनी मादा से बहुत प्यार करता था|
हिमालय पर्वत पर एक बड़ी पवित्र गुफा थी, जिसके समीप ही गंगा जी बह रहीं थीं| वहाँ का दृश्य बड़ा मनोरम तथा पवित्र था| देवर्षि नारद एक बार घूमते-घामते वहाँ पहुँचे तो आश्रम की पवित्रता देखकर उन्होंने वहीं तप करने की ठानी|