12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 90 1 वनस्पतीन भक्ष्यफलान न छिन्द्युर विषये तव बराह्मणानां मूलफलं धर्म्यम आहुर मनीषिणः Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 89 1 यदा राजा समर्थॊ ऽपि कॊशार्थी सयान महामते कथं परवर्तेत तदा तन मे बरूहि पिता मह Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 88 1 राष्ट्रगुप्तिं च मे राजन राष्ट्रस्यैव च संग्रहम सम्यग जिज्ञासमानाय परब्रूहि भरतर्षभ Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 87 1 कथं विधं पुरं राजा सवयम आवस्तुम अर्हति कृतं वा कारयित्वा वा तन मे बरूहि पिता मह Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 86 1 कथं सविद इह राजेन्द्र पालयन पार्थिव परजाः परति धर्मं विशेषेण कीर्तिम आप्नॊति शाश्वतीम Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 85 1 अत्राप्य उदाहरन्तीमम इतिहासं पुरातनम बृहस्पतेश च संवादं शक्रस्य च युधिष्ठिर Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 84 1 हरीनिषेधाः सदा सन्तः सत्यार्जव समन्विताः शक्ताः कथयितुं सम्यक ते तव सयुः सभा सदः Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 83 1 एषा परथमतॊ वृत्तिर दवितीयां शृणु भारत यः कश चिज जनयेद अर्थं राज्ञा रक्ष्यः स मानवः Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 82 1 एवम अग्राह्यके तस्मिञ जञातिसंबन्धिमण्डले मित्रेष्व अमित्रेष्व अपि च कथं भावॊ विभाव्यते Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 81 1 यद अप्य अल्पतरं कर्म तद अप्य एकेन दुष्करम पुरुषेणासहायेन किम उ राज्यं पिता मह Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व