व्यर्थ की लड़ाई
एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था|
एक आदमी के पास बहुत जायदाद थी| उसके कारण रोज कोई-न-कोई झगड़ा होता रहता था| बेचारा वकीलों और अदालत के चक्कर के मारे परेशान था|
जमशेदजी मेहता कराची के प्रसिद्ध सेठ व समाजसेवी थे। अपार धन के साथ उन्होंने उदार हृदय भी पाया था। असहायों के लिए मुक्त हस्त से व्यय करना उनकी प्रकृति में था।
एक बहुत ही सुंदर हरा-भरा वन था और वन के एक किनारे पर सुरम्य सरोवर था| उस सरोवर में बहुत-से हंस रहते थे| उन हंसों के राजा का नाम हंसराज था| वन में भी बहुत से पक्षी रहते थे, उन्हीं में एक था कनकाक्ष नामक उल्लू| उस उल्लू और हंसराज की प्रगाढ़ मित्रता थी|
पुत्र के लिये माता-पिता की भक्ति ही एकमात्र धर्म है| इसके अतिरिक्त पुत्र के लिये और कोई धर्म नहीं है| एक वर्ष, एक मास, एक पक्ष, एक सप्ताह अथवा एक दिन जो भी पुत्र माता-पिता की भक्ति करता है, वह वैकुण्ठलोक की प्राप्त करता है|
एक सेठ था| उसने एक नौकर रखा| रख तो लिया, पर उसे उसकी ईमानदारी पर विश्वास नहीं हुआ| उसने उसकी परीक्षा लेनी चाही|
संत एकनाथ महाराष्ट्र के विख्यात संत थे। स्वभाव से अत्यंत सरल और परोपकारी संत एकनाथ के मन में एक दिन विचार आया कि प्रयाग पहुंचकर त्रिवेणी में स्नान करें और फिर त्रिवेणी से पवित्र जल भरकर रामेश्वरम में चढ़ाएं। उन्होंने अन्य संतों के समक्ष अपनी यह इच्छा व्यक्त की। सभी ने हर्ष जताते हुए सामूहिक यात्रा का निर्णय लिया। एकनाथ सभी संतों के साथ प्रयाग पहुंचे। वहां त्रिवेणी में सभी ने स्नान किया।
एक वन में भासुरक नामक सिंह रहता था| वह अपनी शक्ति के मद में प्रतिदिन वन के अनेक पशुओं का वध कर दिया करता था| कुछ को खाकर वह अपनी भूख शांत करता और कुछ को अपनी शक्ति दर्शाने और वन में दहशत फैलाने के लिए यूँ ही मार डालता|
जिस तरह माता-पिता पुत्र के लिये परमात्मा की मूर्ति होते हैं, उसी तरह पत्नी के लिये पति परमात्मा की मूर्ति होता है| जिस तरह केवल माता-पिता की सेवा से सभी सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं, उसी तरह केवल पति की सेवा से सभी सिद्धियाँ मिल जाती हैं|
अबु उस्मान हैरी बड़े ऊंचे दर्जे के संत थे| उनका स्वभाव बहुत ही शांत था| वे सबके साथ प्रेम का व्यवहार करते थे, कभी कोई कड़वी बात कह देता था तो वे बुरा नहीं मानते थे| क्रोध तो उन्हें आता ही नहीं था|
किसी वन में हाथियों के झुंड के साथ उनका मुखिया चतुर्दन्त रहता था| एक बार उस वन में कई वर्षों तक वर्ष नही हुई, जिसकी वजह से छोटे-बड़े और कच्चे-पक्के सरोवर सूखने लगे| इसके फलस्वरूप प्रतिदिन हाथी काल का ग्रास बनने लगे| ऐसी विकट स्थिति में हाथियों ने अपने मुखिया चतुर्दन्त से प्यास से मरते परिजनों के लिए नया जलाशय खोजने की प्रार्थना की|