HomePosts Tagged "शिक्षाप्रद कथाएँ" (Page 146)

आसमान पर काले घने बादल घिर आए थे| मैना जल्दी से उठकर अपने घोंसलें में पहुँचना चाहती थी| अंधेरा भी हो चला था और उसका घोंसला अभी दूर था| मौसम खराब होता देख उसने नीम के एक पेड़ पर रुकने का फैसला किया| उसी पेड़ पर बहुत से कौए भी थे| जैसे ही उन कौओं की नज़र उस मैना पर पड़ी तो वे ‘काँव-काँव’ करते हुए मैना पर टूट पड़े और कहने लगे, ‘हमारे पेड़ से भाग जाओ|’

बादशाह अकबर के साले साहब ने एक बार फिर से स्वयं को दीवान बनाने की जिद की| अब बादशाह सीधे-सीधे तो साले साहब को इंकार कर नहीं सकते थे, सो उन्होंने फिर एक शर्त रखी और कहा – “ठीक है, मैं तुम्हें दीवान बना दूंगा|

शिकागो के ‘विश्व धर्म सम्मेलन’ में ‘भाइयों और बहनों’ के उद्बोधन से एवं अपनी वक्तृत्व- शक्ति के सम्मोहन से मुग्ध करने वाले स्वामी विवेकानंद की अपने देशवासियों से माँग थी कि उन्हें सब देवी-देवताओं को छोड़कर एक भाव भारत माता की पूजा एवं समुन्नती के लिए प्रयत्नशील हो जाना चाहिए|

आनंद रामायण की एक कथा के अनुसार लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र पर बांधे गए पुल की सुरक्षा का भार हनुमानजी को सौंपा गया था। हनुमानजी रात में भगवान राम का ध्यान करते हुए पुल की रक्षा कर रहे थे कि वहां शनिदेव आ पहुंचे और उन्हें व्यंग्यबाणों से परेशान करने लगे।

दो पेड़ अगल-बगल में थे और उनमें गहरी मित्रता थी| जिस जंगल में यह दोनों पेड़ थे उसी जंगल में कुछ खूंखार शेर भी थे| वे प्रायः जानवरों का शिकार करते और बचा-खुचा माँस और हडिड्याँ वहीं छोड़ देते| जिससे वहाँ का वातावरण दूषित हो गया था|

बादशाह अकबर शिकार से लौट रहे थे| हमेशा की तरह बीरबल भी उनके साथ था| लौटते समय अचानक बादशाह अकबर की नजर एक पेड़ पर पड़ी, जिस पर बैठे दो उल्लू आपस में बहस कर रहे थे|

विदर्भ देश के राजा भीष्मक के पांच पुत्र और एक पुत्री थी| पुत्री का नाम रुक्मिणी था जो समकालीन राजकुमारियों में सर्वाधिक सुंदर और सुशील थी| उससे विवाह करने के लिए अनेक राजा और राजकुमार आए दिन विदर्भ देश की राजधानी की यात्रा करते रहते थे|

यह बात उस समय की है जब गुरु गोविंद सिंह जी मुगलों से संघर्ष कर रहे थे। युद्ध में उनके सभी शिष्य अपने-अपने तरीके से सहयोग कर रहे थे। शाम को युद्ध समाप्त हो जाने के बाद गुरु गोविंद सिंह जी के सभी सेनानी उनके साथ बैठकर उनसे उपदेश ग्रहण करते और आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श करते थे। हर सेनानी को गुरु जी ने निश्चित जिम्मेदारी सौंप रखी थी ताकि वे अपना ध्यान युद्ध पर लगा सकें।

एक बकरी का छोटा सा मेमना (बच्चा) बहुत ही शरारती था| उसकी माँ दिनभर उसके आगे-पीछे भगती रहती और उसे शरारतें करने को मना करती| लेकिन वह अपनी माँ का कहना नही मानता था|