08. कर्णपर्व Share 0 अध्याय 36 1 [] कषत्रियास ते महाराज परस्परवधैषिणः अन्यॊन्यं समरे जघ्नुः कृतवैराः परस्परम Continue reading POST TAGS: कर्णपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 79 1 [ज] भगवन काम्यकात पार्थे गते मे परपिता महे पाण्डवाः किम अकुर्वन्त तम ऋते सव्यसाचिनम Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 216 1 [य] यया बुद्ध्या महीपालॊ भरष्ट शरीर विचरेन महीम कालदण्ड विनिष्पिष्टस तन मे बरूहि पितामह Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 31 1 [ष] भुजंगमानां शापस्य मात्रा चैव सुतेन च विनतायास तवया परॊक्तं कारणं सूतनन्दन Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
06. भीष्मपर्व Share 0 अध्याय 48 1 [धृ] एवं वयूढेष्व अनीकेषु मामकेष्व इतरेषु च कथं परहरतां शरेष्ठाः संप्रहारं परचक्रिरे Continue reading POST TAGS: भीष्मपर्वमहाभारत संस्कृत
08. कर्णपर्व Share 0 अध्याय 35 1 [धृ] सुदुष्करम इदं कर्मकृतं भीमेन संजय येन कर्णॊ महाबाहू रथॊपस्थे निपातितः Continue reading POST TAGS: कर्णपर्वमहाभारत संस्कृत
03. आरण्यकपर्व Share 0 अध्याय 80 1 [व] धनंजयॊत्सुकास ते तु वने तस्मिन महारथाः नयवसन्त महाभागा दरौपद्या सह पाण्डवाः Continue reading POST TAGS: आरण्यकपर्वमहाभारत संस्कृत
12. शांतिपर्व Share 0 अध्याय 215 1 [य] यद इदं कर्म लॊके ऽसमिञ शुभं वा यदि वाशुभम पुरुषं यॊजयत्य एव फलयॊगेन भारत Continue reading POST TAGS: महाभारत संस्कृतशांतिपर्व
01. आदिपर्व Share 0 अध्याय 32 1 [ष] जाता वै भुजगास तात वीर्यवन्तॊ दुरासदाः शापं तं तव अथ विज्ञाय कृतवन्तॊ नु किं परम Continue reading POST TAGS: आदिपर्वमहाभारत संस्कृत
06. भीष्मपर्व Share 0 अध्याय 49 1 [धृ] कथं दरॊणॊ महेष्वासः पाञ्चाल्यश चापि पार्षतः रणे समीयतुर यत्तौ तन ममाचक्ष्व संजय Continue reading POST TAGS: भीष्मपर्वमहाभारत संस्कृत