श्रावण मास माहात्म्य – श्रावण के सोमवार
भगवान् शिव को रमेश्वर कहा गया है| क्योंकि यह जीवन मे रस को प्रदान करने वाले हैं और जिस व्यक्ति के जीवन में रस नहीं है उस व्यक्ति का जीवन मृत तुल्य है|प्रतीक रूप में भगवान शंकर ने गंगा के तेज प्रवाह को अपनी जटाओं में धारण किया था और उनके शरीर से प्रवाहित होती हुई यह गंगा पूरे भारत वर्ष को जीवन रस से आप्लावित करती हुई निरंतर प्रवाहित हो रही है, सभी नदियां सूख सकती हैं, लेकिन गंगा की मूल धारा कभी भी सूख नहीं सकती है, इसका स्पष्ट तात्पर्य है कि भगवान शिव का अभिषेक किया हुआ जल पूरे जीवन को आत्लावित करता है| यही गंगा कहीं नर्मदा बन जाती है, कहीं ब्रह्मपुत्र तो कहीं हुगली, क्षिप्रा| इस प्रकार विभिन्न धाराओं में बहती हुई समुद्र में विलीन हो जाती है, ठीक इसी प्रकार मनुष्य का जीवन की पूर्णता रूपी समुद्र, जिसमें भगवान नारायण विराजमान हैं उस पूर्णत्व मोक्ष को प्राप्त करें, ही तो जीवन की वास्तविक गति है|
सृष्टि शिव को तमोगुण का अधिष्ठातृ देव और संहार शंक्ति का नियामक माना गया| संहार-सामग्री, भूत-प्रेम, सर्प, बिच्छू, कुत्ता, भेड़िया आदि-आदि पौराणिक शिव के पारिवारिक अंग है| इनका मुख्य उद्देश्य तत्वों की संहारपरकता तथा रूप-भयंकरता के प्रतिपादन में योगदान है| बैल की सवारी भी सी इसी प्रकार का एक अंश मानी जा सकती है, किंतु वृष का मुख्य अर्थ सभी मंगलकामनाओं का आवश्यक धर्म-तत्व माना गया है| इसका रूप भयंकर नहीं है| सिर पर जटामुकुट, द्वितीया के चंद्र का आभूषण, मस्तक में तृतीय नेत्र और नाग का यज्ञोपवीत, गले, कान, मणिबंध, पाद्गुल्फ और कटि में सर्पमाला का आभूषण, सभी सौंदर्य और भीषणता के प्रतीक हैं| कवियों द्वारा वर्णित शिव-पार्वती विवाह में शिव का यह श्रृंगार कविकुल के मनोविनोद-हास्य तथा श्रृंगार, भयानक रसों का सम्मिश्रण है|
भगवान शिव की उपासना करने वाला कोई भी साधक अपने जीवन में निराश नहीं हो सकता क्योंकि भगवान शंकर ता औढ़रदानी हैं| यदि व्यक्ति भगवान शिव को अपना आदर्श मान लें और निश्चय कर ले कि मैं शिव समान ही अपने जीवन को रसयुक्त रखूंगा और जीवन यात्रा में चाहे कितने भी दुख रूपी सर्प आएं उन दुखों को धारण करते हुए भी आनंद के साथ जीवन यात्रा करूंगा तो भी मनुष्य का जीवन शांत और सर्वसुखों से युक्त बन जाता है|
श्रावण के सिद्धिदायी चार सोमवार
जैसा कि मैंने बताया श्रावण में चार महत्वपूर्ण सोमवार आ रहे हैं और ये सोमवार अपने आप में अद्वितीय योगों से सम्पन्न हैं| इन सोमवारों को की गई उपासनाएं एवं साधनाएं विशेष फल प्रदान करने वाली होती हैं| इन दिनों किए गए प्रयोग भी शीघ्र व सुपरिणाम देने वाले होते हैं| प्रत्येक सोमवार अमूल्य धरोहर है अतः हमें सभी सोमवारों का सदुपयोग करना चाहिए|