श्रावण मास माहात्म्य – कुछ महत्वपूर्ण साधनाएं – भगवान् सिद्धेश्वर प्रयोग
श्रावण मास भगवान शिव का सर्वाधिक अनुकूल मास है, शिव भक्त पूरे वर्ष-भर श्रावण के महीने की प्रतीक्षा करते रहते हैं| सर्व-सिद्धिप्रदायक प्रयोग का तात्पर्य उन समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति है, जो व्यक्ति की इच्छा होती है| साधक को चाहिए कि वह ‘हर-हर महादेव’ का घोष करते हुए पूर्ण श्रद्धा के साथ इस प्रयोग को सम्पन्न करे| इस प्रयोग से निश्चिय पुत्र-प्राप्ति, पुत्र-सुख और सौभाग्य वृद्धि तो होती ही है, रोगों के निवारण में भी यह प्रयोग अचूक है| भगवान शिव को वैद्यनाथ कहते हैं और इस प्रयोग से सम्पन्न जल का पान, यदि साधक एक महीने तक करे तो निश्चय ही वह समस्त प्रकार के रोगों से मुक्त हो सकता है|
भगवान शिव ने कामदेव पर विजय प्राप्त की थी और इसीलिए कमजोर और निर्बल मनुष्यों के लिए यह प्रयोग ‘संजीवनी’ की तरह है| जो इस प्रयोग को सम्पन्न कर लेता है, वह पूर्ण पौरुषवान बन जाता है|
स्त्रियों के लिए तो यह ‘हर गौरी’ प्रयोग है, जिसके माध्यम से वे इस प्रयोग को संपन्न कर सौभाग्य की कामना करती हैं, इस प्रयोग से पति की दीर्घायु प्राप्त होती है ओर उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं| कुंवारी बालिकाएं इस प्रयोग को करने से मनोवांछित वर प्राप्त करने में सफल हो जाती हैं|
भगवान शिव को ‘रुद्र’ कहते हैं, जो कि शत्रुओं के संहारक हैं| इस प्रयोग को सम्पन्न करने से साधक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है, अपने विरोधियों पर हावी होता है और सभी दृष्टियों से सफलता प्राप्त कर पाता है| वास्तव में ही यह प्रयोग पूरे वर्ष का सौभाग्य प्रयोग है, जिसे प्रत्येक पुरुष और स्त्री को सम्पन्न करना चाहिए|