Homeघरेलू नुस्ख़ेबीमारीयों के लक्षण व उपचारमूत्र विकार के 38 घरेलु उपचार – 38 Homemade Remedies for Urinary Disorders

मूत्र विकार के 38 घरेलु उपचार – 38 Homemade Remedies for Urinary Disorders

मूत्र विकार के अंतर्गत कई रोग आते हैं जिनमें मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना, मूत्रकृच्छ और बहुमूत्र प्रमुख हैं| यह सभी रोग बड़े कष्टदायी होते हैं| यदि इनका यथाशीघ्र उपचार न किया जाए तो घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं|

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मूत्र विकार के 38 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. मक्का, पानी और मिश्री

मक्के के भुट्टे (कच्ची मक्का) को पानी उबाल लें| फिर लगभग एक गिलास पानी छानकर उसमें मिश्री मिलाकर पी जाएं| इससे पेशाब की जलन जाती रहती है|


2. तरबूज और मिश्री

पेशाब की जलन दूर करने के लिए रात में तरबूज को ओस में रखें तथा सुबह उसका रस निकालकर मिश्री मिलाकर पी जाएं|


3. पानी और जौ

एक गिलास पानी में 25 ग्राम जौ उबालें| फिर उसे ठंडा करके केवल पानी को घूंट-घूंट पिएं|


4. ईसबगोल

लगभग चार चम्मच ईसबगोल की भूसी पानी में भिगो दें| फिर उसमें बूरा डालकर पी जाएं| पेशाब की जलन शान्त हो जाएगी|


5. फालसे और काला नमक

चार चम्मच फालसे के रस में काला नमक डालकर पिएं| पेशाब की जलन जाती रहेगी|


6. चावल और चीनी

एक कप चावल का मांड़ लेकर उसमें चीनी मिलाकर पिएं|


7. बथुआ, पानी, काला नमक, जीरा, कालीमिर्च और शक्कर

थोड़ा-सा बथुआ पानी में उबालें| फिर उसमें काला नमक, भुना जीरा, कालीमिर्च तथा जरा-सी शक्कर डालकर सेवन करें|


8. प्याज, पानी और चीनी

50 ग्राम प्याज के छोटे-छोटे टुकड़े काटें| फिर एक गिलास पानी में वह प्याज उबालकर छान लें| अब उसमें थोड़ी-सी चीनी डालकर सेवन करें| यह मूत्र रोगी के लिए बड़ा अच्छा नुस्खा है|


9. अनार

एक कप अनार का शरबत सुबह नाश्ते के बाद सेवन करें|


10. पालक और नारियल

यदि पेशाब में जलन हो, खुलकर पेशाब न आए या बूंद-बूंद पेशाब हो तो पालक के एक कप रस में आधा कप नारियल का पानी मिलाकर पी जाएं|


11. पीपल, पानी और शक्कर

पीपल के वृक्ष की पांच कोंपलों को पानी में उबालें| जब पानी आधा रह जाए तो उसे छानकर शक्कर डालकर पी जाएं|


12. आंवला, पानी, शक्कर और शहद

हरे आंवले के रस को पानी में मिलाकर पिएं| स्वाद के लिए जरा-सी शक्कर या शहद डाल लें|


13. कलमी शोरा और इलायची

कलमी शोरा दो चम्मच तथा बड़ी इलायची के दानों का चूर्ण एक चम्मच-दोनों को मिलाकर सेवन करें|


14. बेल, कालीमिर्च और शहद

बेल के पत्तों को पानी में पीस लें| इसमें जरा-सी कालीमिर्च तथा दो चम्मच शहद मिलाएं| फिर घूंट-घूंट पी जाएं|


15. गाजर और नीबू

प्रतिदिन सुबह एक कप गाजर के रस में नीबू निचोड़कर पिएं|


16. गन्ना, नीबू और सेंधा नमक

गन्ने के ताजे रस में नीबू तथा सेंधा नमक मिलाकर पीने से मूत्र की जलन दूर होती है| मूत्र खुलकर आता है|


17. ककड़ी और शक्कर

एक कप ककड़ी के रस में शक्कर मिलाकर सेवन करें|


18. सोंठ, दूध और मिश्री

यदि पेशाब करते समय दर्द होता हो तो दूध में सोंठ और मिश्री मिलाकर सेवन करें|


19. मूली और सेंधा नमक

गुर्दे की खराबी के कारण यदि पेशाब बंद हो गया हो तो एक चम्मच मूली के रस में जरा-सा सेंधा नमक मिलाकर पी जाएं|


20. कुलफा

अगर पेशाब में रक्त आता हो तो कुलफा के साग के पत्तों का रस चार-चार चम्मच की मात्रा में दिनभर में तीन बार पिएं|


21. दूब और नागकेसर

यदि पेशाब में रक्त आने की शिकायत हो तो एक चम्मच दूब के रस में जरा-सी नागकेसर मिलाकर सेवन करें|


22. माशा जवाखार और गुड़

6 माशा जवाखार में गुड़ मिलाकर सेवन करें|


23. नीबू

नीबू के बीजों को पीसकर नाभि पर लेप करने से रुका हुआ पेशाब शीघ्र आने लगता है|


24. केला

केले के तने का रस चार चम्मच पीने से पेशाब आ जाता है|


25. काला तिल

सुबह-शाम एक-एक चम्मच काले तिल चबाकर खाना चाहिए|


26. अजवायन और पानी

आधा चम्मच अजवायन दिन में दो बार गुनगुने पानी के साथ सेवन करें|


27. आंवला, हल्दी और शहद

आंवले के एक चम्मच रस में एक चुटकी हल्दी तथा आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें|


28. अनन्नास और पीपल

अनन्नास की फांकों पर पीपल का चूर्ण डालकर खाएं|


29. मसूर

मसूर की दाल सुबह पकवाकर खाली पेट पिएं|


30. सेब

सेब खाने से बार-बार पेशाब आना कम हो जाता है|


31. काला तिल और गुड़

काले तिल में गुड़ मिलाकर खाने से बहुमूत्र रोग ठीक हो जाता है|


32. पालक और काला नमक

दो चम्मच पालक के रस में काला नमक डालकर सेवन करें|


33. दूध और छुहारा

रात को दूध में छुहारा डालकर पिएं|


34. जावित्री, मिश्री और गाय का दूध

1 ग्राम जावित्री तथा 5 ग्राम मिश्री को गाय के दूध के साथ लें|


35. चना

भुने हुए चने खाने से बार-बार पेशाब जाने की हालत ठहर जाती है|


36. खसखस और गुड़

3 ग्राम खसखस के दाने थोड़े से गुड़ में मिलाकर खा जाएं|


37. केला और आंवला

पके हुए केले को आंवले के रस के साथ सेवन करें| पहले केला खाएं, ऊपर से रस पी लें|


38. हल्दी और दूध

सुबह-शाम 5-5 ग्राम पिसी हल्दी को दूध के साथ लेने से बहुमूत्रता की व्याधि खत्म हो जाती है|


मूत्र विकार में क्या खाएं क्या नहीं

उचित समय पर पचने वाला हल्का भोजन करें| सब्जियों में लौकी, तरोई, टिण्डा, परवल, गाजर, टमाटर, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई, कुलफा आदि का सेवन करें| दालों में मूंग व चने की दाल खाएं| अरहर, मलका, मसूर, मोठ, लोबिया, काबुली चने आदि का सेवन न करें| फलों में सेब, पपीता, केला, नारंगी, संतरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज, चीकू आदि का प्रयोग करें| गुड़, लाल मिर्च, मिठाई, तेल, खटाई, अचार, मसाले, मैथुन तथा अधिक व्यायाम से परहेज करें|

मूत्र विकार का कारण

यदि मूत्राशय में पेशाब इकट्ठा होने के बाद किसी रुकावट की वजह से बाहर न निकले तो उसे मूत्रावरोध कहते हैं| स्त्रियों में किसी बाहरी चीज के कारण तथा पुरुषों में सूजाक, गरमी आदि से मूत्राशय एवं मूत्र मार्ग पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब रुक जाता है| वृद्ध पुरुषों की पौरुष ग्रंथि (प्रोस्टेट ग्लैंड) बढ़ जाती है जिसके कारण उनका मूत्र रुक जाता है|

मूत्रकृच्छ में पेशाब करते समय दर्द होता है| जब मूत्राशय में दर्द उत्पन्न होता है तो पेशाब रुक जाता है| इसी प्रकार हिस्टीरिया (स्त्री रोग), चिन्ता, सिर में चोट लग जाना, आमाशय का विकार, खराब पीना, आतशक, कब्ज, पौष्टिक भोजन की कमी आदि के कारण भी बार-बार पेशाब आता है|

मूत्र विकार की पहचान

मूत्र की कमी या न निकलने से मूत्राशय फूल जाता है| रोगी को बड़ी बेचैनी होती है| मूत्र बड़े कष्ट के साथ बूंद-बूंद करके निकलता है| कब्ज, मन्दाग्नि, अधिक प्यास, पेशाब अधिक आने, मूत्र पीला होने आदि के कारण रोगी को नींद नहीं आती| वह दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जाता है| कमर, जांघों तथा पिंडलियों में दर्द होता है|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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