तपेदिक (टी.बी.) के 23 घरेलु उपचार – 23 Homemade Remedies for Tuberculosis (TB)
तपेदिक को राजयक्ष्मा या टी.बी. भी कहा जाता है| यह एक बड़ी भयानक बीमारी है| आम जनता इसका नाम लेने से भी डरती है| जिस परिवार में यह रोग हो जाता है, उसकी हालत बड़ी दयनीय हो जाती है|
“तपेदिक (टी.बी.) के 23 घरेलु उपचार” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Homemade Remedies for Tuberculosis (TB) Listen Audio
किसी समय यह रोग राजा-महाराजाओं को होता था क्योंकि वे विलासितापूर्ण जीवन बिताया करते थे| यह विलासिता की सबसे बड़ी दुश्मन है| लेकिन आजकल यह रोग आम जनता में भी फैल रहा है| पौष्टिक भोजन की कमी, प्रदूषित वातावरण तथा अत्यधिक वीर्य नष्ट करने से इस रोग के कीटाणु शरीर को दीमक की तरह चाट जाते हैं| इसलिए इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करना जरूरी है|
यह रोग सांस की वायु, खान-पान तथा गहरे मेल-जोल से भी एक से दूसरे व्यक्ति को लग जाता है| दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की यह एक संक्रामक व्याधि है| इसके जीवाणु चारों ओर वायु में मंडराते रहते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंच जाते हैं| यह रोग धातुओं की कमी से होता है| जब शरीर की स्वाभाविक क्रियाओं में कोई खामी उत्पन्न हो जाती है तो यह रोग लग जाता है|
तपेदिक (टी.बी.) के 23 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:
1. बकरी का दूध और शहद
बकरी का दूध तथा शहद नियमित रूप से लेने से क्षय रोग कम होता है| फिर धीरे-धीरे चला जाता है|
2. केला
दो पके केलों के बीच में जरा-सा खाने वाला चूना रखकर चार माह तक नित्य सेवन करें|
3. अनारदाना, पीपल, पीपरामूल, धनिया, कालीमिर्च, बंसलोचन, दालचीनी और तेजपात
अनारदाना, पीपल, पीपरामूल, धनिया, कालीमिर्च, बंसलोचन, दालचीनी तथा तेजपात – सबको 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें| 4 ग्राम चूर्ण दिन में भोजन के बाद शहद के साथ कुछ महीनों तक सेवन करें|
4. गुलकंद
भोजन के बाद गुलकंद खाएं|
5. बेल और पानी
बेल की सूखी गिरी 100 ग्राम की मात्रा में लेकर आधा किलो पानी में पकाएं| जब पानी 25 ग्राम रह जाए तो उसमें मिश्री डालकर खाएं| इसका कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें|
6. बकरी का दूध और लहसुन
बकरी के दूध में लहसुन की दो कलियां नित्य औटाकर पिएं|
7. अंडा, मक्खन और शहद
प्रतिदिन दो अण्डे, 10 ग्राम मक्खन, शहद तथा पौष्टिक फल खाने से रोग के कीटाणु नष्ट होने लगते हैं| धीरे-धीरे तपेदिक चली जाती है|
8. लहसुन, बादाम और शहद
दो कलियां लहसुन तथा चार बादाम – दोनों की चटनी बनाकर 10 ग्राम शुद्ध शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करें|
9. पीपल और दूध
पीपल के पत्तों को जलाकर चूर्ण बना लें| प्रतिदिन रात को सोते समय 10 ग्राम चूर्ण फांककर 250 ग्राम दूध पी लें|
10. पीपल, दूध और बकरी का दूध
पीपल के पेड़ की गुलड़ियों को सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें| इसमें से 10 ग्राम चूर्ण दूध के साथ नित्य सेवन करें| दिनभर में एक किलो बकरी का दूध थोड़ा-थोड़ा करके पिएं| कुछ दिनों में क्षय रोग छूमंतर हो जाएगा|
11. सेब
प्रतिदिन एक सेब का मुरब्बा दोपहर को भोजन के बाद खाएं|
12. अंगूर
प्रतिदिन 100 ग्राम अंगूर का रस गुनगुना करके सेवन करें|
13. मुनक्का, पीपल और खांड़
चार दाने मुनक्का (बीज निकालकर), 2 ग्राम पीपल तथा 10 ग्राम खांड़-तीनों की चटनी पीसकर सुबह-शाम खाने से दमा, खांसी, श्वास तथा राजयक्ष्मा नष्ट हो जाता है|
14. केला
केले के पेड़ के तने की सब्जी बनाकर प्रतिदिन खाएं|
15. केला और तना
केले के सफेद तने का रस 20 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन दो बार पीने से तपेदिक उल्टे पैर भाग जाती है|
16. नारियल और शहद
25 ग्राम कच्चा नारियल पीसकर शहद के साथ खाएं| यह यक्ष्मा के कीटाणुओं को मारता है|
17. लौकी, सफेद गूदा और मिश्री
कच्ची लौकी का सफेद गूदा 100 ग्राम लेकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर सेवन करें|
18. गाय का दूध, घी, पीपल और दूध
गाय के दूध में 10 ग्राम घी तथा दो पीपल डालकर दूध को औटाकर नित्य कुछ माह तक पिएं|
19. मक्खन, कालीमिर्च और इलायची
मक्खन में चार कालीमिर्च तथा एक लाल इलायची का चूर्ण मिलाकर नित्य खाएं|
20. प्याज
यक्ष्मा के कीटाणुओं को नष्ट करने के लिए कच्चे प्याज का रस चार चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करें|
21. लौंग और देशी घी
चार लौंगों का चूर्ण देशी घी में मिलाकर नित्य कुछ माह तक लें|
22. पपीता, मौसमी और अंगूर
पपीते का रस 50 ग्राम, मौसमी का रस 20 ग्राम तथा अंगूर का रस 20 ग्राम-तीनों को गरम करके पिएं|
23. आंवला, मिश्री और शहद
प्रतिदिन चार आंवले के रस में थोड़ी-सी मिश्री या शहद मिलाकर पिएं|
तपेदिक (टी.बी.) में क्या खाएं क्या नहीं
इस रोग में हल्के, ताजे तथा सरलता से पचने वाले पदार्थ खाएं| यदि मांसाहारी हैं तो बकरे की कलेजी या फोतों का रस बनाकर सेवन करें| अण्डा भी लाभदायक है| कच्चा अंडा दूध में उबालकर ले सकते हैं| बकरी का दूध, घी, मक्खन, रोटी, दाल आदि इस रोग के मुख्य पदार्थ हैं| सब्जियों में लहसुन का छौंक जरूर कराएं| फलों में सेब, मौसमी, अनार, अंगूर, पपीता, अमरूद और केला लाभकारी होता है|
इसके अलावा बासी तथा अलाभकारी पदार्थ न खाएं| सड़े-गले और बासी फल, बहुत गरम पदार्थ, भांग, गांजा, शराब, धूम्रपान आदि त्याग देना चाहिए| बर्फ तथा गरिष्ठ मिठाईयां न खाएं| सब्जियों में बैंगन, करेला, घुइयां, मेथी, भिण्डी आदि का सेवन न करें| तिल, सरसों का तेल तथा पान-सुपारी भी टी.बी. के रोगी के लिए हानिकारक है|
तपेदिक (टी.बी.) का कारण
मनुष्य की पाचन क्रिया के मन्द हो जाने पर भोजन का रस ठीक प्रकार से नहीं बन पाता या जो रस बनता है, वह थोड़ी मात्रा में होता है| फिर वह कफ के रूप में बदलकर रसवाहिनी नाड़ियों में रूककर फेफड़ों की क्रियाशीलता रोक देता है, जिस कारण व्यक्ति को तपेदिक या क्षय रोग की शिकायत हो जाती है| अधिक मैथुन करने से वीर्य नष्ट हो जाता है| अत: खाली स्थान में वायु क्रुद्ध होकर वीर्य को सुखा देती है और क्षय रोग में बदल देती है|
इस रोग में पहले श्वास फूलता है, खांसी होती है और धीरे-धीरे अग्नि मंद पड़ जाती है| रोगी की आंखों से नींद गायब हो जाती है| यह रोग वंश परम्परागत भी होता है| जहां धूल अधिक होती है तथा वायु और प्रकाश की कमी होती है, वहां यह रोग बहुत जल्दी आक्रमण करता है| इसके अलावा अधिक मात्रा में शराब तथा मादक पदार्थों का सेवन करने से शरीर दुर्बल होकर तपेदिक का शिकार हो जाता है|
तपेदिक (टी.बी.) की पहचान
इस रोग में रोगी की पसलियों तथा कंधे में दर्द होता है| हाथ पैरों में जलन एवं शरीर में धीमा बुखार-सा बना रहता है| भोजन करने की इच्छा नहीं होती| खांसी हर समय आती रहती है| खांसी के साथ खून भी आता है| श्वास तथा गले की आवाज फट जाती है| कुछ रोगियों को पतले दस्त, सिर में भारीपन और शरीर टूटने की भी शिकायत होती है| इससे शरीर दिन-प्रतिदिन कमजोर होता चला जाता है| शारीरिक दुर्बलता, असहिष्णुता, बेचैनी, मानसिक अस्थिरता, पाचन-संस्थान के विकार, वजन घटते जाना, नाड़ी का आधिक तेज चलना, रात में अधिक पसीना आना तथा सदैव बुखार रहना इसके सामन्य लक्षण हैं|
NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।
Consult Dr. Veerendra Aryavrat +91-9254092245
(Recommended by SpiritualWorld)