Homeघरेलू नुस्ख़ेबीमारीयों के लक्षण व उपचारफोड़े-फुंसी के 26 घरेलु उपचार – 26 Homemade Remedies for Abscesses – Pimple

फोड़े-फुंसी के 26 घरेलु उपचार – 26 Homemade Remedies for Abscesses – Pimple

कुछ संक्रामक रोगों के कारण शरीर पर फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं| प्रदूषित वातावरण भी फोड़े-फुंसियों को उत्पन्न करने का कारण बनता है| फोड़े-फुंसियों के निकलने पर उनमें खुजली-जलन होती है तथा रोगी बेचैनी महसूस करता है|

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फोड़े-फुंसी के 26 घरेलु नुस्खे इस प्रकार हैं:

1. आलू

कच्चे आलू का रस फुंसियों पर लगाएं तथा सुबह के समय निहार मुंह चार चम्मच रस पिएं|


2. गाजर और तेल

गाजर को पीसकर तवे पर जरा-सा तेल डालकर गरम करें| फिर इस पुल्टिस को फोड़े-फुंसियों पर बांध दें|


3. इमली और पानी

फोड़े-फुन्सी में इमली का रस पीने से काफी लाभ होता है| 25-30 ग्राम इमली का गूदा पानी में भिगो दें| जब गूदा फुल जाए तो उसे पानी में मथकर इस शरबत को छानकर पी जाएं|


4. कालीमिर्च और पानी

यदि फुंसी निकली हो तो कालीमिर्च को पानी में घिसकर लगाएं| इससे फुन्सी बैठ जाती है|


5. अनन्नास

अनन्नास का रस फुंसियों पर रुई के फाहे से लगाएं|


6. हल्दी और तेल

हल्दी को पीसकर तवे पर जरा-सा तेल डालकर गरम करें| फिर उसे फाहे पर रखकर फुड़िया पर बांध दे|


7. अमरूद

अमरूद की तीन-चार पत्तियों को पानी में उबालकर पीस लें| फिर इस लेप को फोड़े पर लगाएं| फोड़ा जल्दी फूट जाएगा|


8. नीम

नीम की छाल का लेप फुंसियों पर लगाने से काफी लाभ होता है|


9. हल्दी, अड़ूसा और लौंग

हल्दी, अड़ूसा और लौंग पीसकर पानी में मिलाएं| फिर उसे फोड़े-फुंसी पर चुपड़ दें|


10. खरबूजा

खरबूजे के बीजों को छिलके सहित पीसकर फोड़े-फुंसियों पर दिन में तीन-चार बार लगाएं|


11. करेला

करेले का रस लगाने से फोड़े-फुंसियों से काफी लाभ होता है|


12. सरसों और तारपीन

सरसों के तेल में थोड़ा-सा तारपीन का तेल मिलाकर फुंसियों पर लगाएं| लाभ होगा|


13. मसूर

मसूर की दाल पीसकर उसकी पुल्टिस बना लें| फिर इसे फोड़े-फुंसियों पर लगाएं|


14. मुलतानी मिट्टी और पिंडोर

मुलतानी मिट्टी या पिंडोर को पानी में भिगोकर फोड़े-फुंसियों पर लगाएं| दो-तीन दिन तक नियमित रूप से लगाने पर फोड़ा बैठ जाएगा|


15. पानी और मेहंदी

दो कप पानी में थोड़े से मेहंदी के पत्ते डालकर उबालें| इसके बाद उस पानी को छानकर रुई के फाहे से फोड़ा-फुंसी धोएं| दो दिन में ही काफी लाभ हो जाएगा|


16. चंदन, मिलतानी मिट्टी और नीबू

यदि गरमी के कारण फुंसियां उभर आई हों तो एक चम्मच पिसा हुआ चंदन, एक चम्मच पिसी हुई मिलतानी मिट्टी, एक चम्मच चोकर तथा चार-पांच बूंदें नीबू की डालकर लेप बना लें| यह लेप फुंसियों पर लगाएं|


17. कद्दू

कद्दू की बेल के पत्तों का रस निकाल कर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से वे जल्दी सूख जाती हैं|


18. केला और गोमूत्र

यदि फोड़ा पक गया हो और फूटता न हो तो केले की जड़ की एक गांठ धोकर पीस लें| फिर उसमें थोड़ा गोमूत्र मिलाकर फोड़े पर लगाकर पट्टी बांध दें|


19. गूदा

शरीफे का गूदा फोड़े-फुंसियों के लिए अच्छी दवा है|


20. बकायन

बकायन की पत्तियों को पीसकर फोड़े-फुंसी पर लगाएं|


21. नारियल और कपूर

नारियल के तेल में कपूर मिलाकर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है|


22. दूब

फुंसियों पर दूब पीसकर चटनी की तरह लगाएं|


23. नीम

नीम के पत्तों को पानी में पीसकर फोड़े पर लगाएं|


24. तुलसी

तुलसी के हरे पत्तों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से वे बैठ जाती हैं|


25. नीबू और अजवायन

नीबू के रस में पिसी हुई अजवायन का लेप लगाइए|


26. ग्वारपाठा और हल्दी

ग्वारपाठे का गूदा गरम करके जरा-सी पिसी हुई हल्दी मिलाकर लगाएं|


फोड़े-फुंसी में क्या खाएं क्या नहीं

लाल मिर्च, तेल, खटाई, इमली, चाय, कॉफी, शराब, नमक आदि का प्रयोग बंद कर दीजिए| शेष जो भोजन आप नित्य करते हैं, उसे ही खाएं| नीम के पानी से नित्य स्नान करें|

फोड़े-फुंसी का कारण

बालों की जड़ों में एक सूक्ष्म कीटाणु का संक्रमण होने से फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं| इसके अलावा खून की खराबी, आम का अधिक प्रयोग करने, कच्ची अमिया खाने, आम की चेंपी लगने, मच्छर के काटने आदि के कारण भी फुंसियां निकल आती हैं| कई बार-पैरों या जांघों में एक बाल के साथ दूसरा बाल निकलने की कोशिश करता है| तब बलतोड़ (फोड़ा) बन जाता है| त्वचा के नीचे वाली परत में सूजन या दर्द के बाद पीव भर जाती है, वही फुड़िया या फुन्सी होती है| अधिक मिर्च-मसाले खाने, तेल तथा डालडा घी के अधिक सेवन के कारण भी फुंसियां निकल आती हैं| बरसात के गंदे पानी के शरीर से देर तक लगने की वजह से भी कभी-कभी फुंसियां उत्पन्न हो जाती हैं|

फोड़े-फुंसी की पहचान

फोड़े-फुन्सी में पहले दर्द होता है| इसके बाद जब वे पक जाती हैं तो उनमें कील और पीव पड़ जाती है| कुछ फोड़े-फुन्सी नुकीले बन जाते हैं – तब वे फूट जाते हैं| उनमें चसक तथा लपकन पड़ती है| कुछ फुंसियां बिना पके ही बैठ जाती हैं| लेकिन इनके भीतर पानी तथा पीव भरी रहती है| इसलिए कुछ दिनों बाद वे पुन: पककर फटती हैं| इनमें दर्द तथा जलन होती है|

NOTE: इलाज के किसी भी तरीके से पहले, पाठक को अपने चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता की सलाह लेनी चाहिए।

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