श्री श्याम जी की आरती – Shri Shyam Ji Ki Aarti
श्याम बाबा जी का वर्णन महाभारत काल मे किया गया है| ऐसा माना जाता है कि श्याम बाबा जी की सच्चे मन से अराधना करने से सभी कार्यों मे सफलता मिलती है तथा सर्व मनो कामनाएं पूर्ण होती हैं| इनकी उपासना को बहुत पवित्र और स्वच्छ माना गया है| श्याम जी की आरती का बहुत महत्व है|
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श्री श्याम जी की आरती इस प्रकार है:
ओम् जय श्री श्याम हरे,
प्रभु जय श्री श्याम हरे |
निज भक्तन के तुमने,
निज…पूरण काम करे || ओम् जय .
गल पुष्पों की माला सिर पर मुकुट धरे |
पीत बसन पीताम्बर सोहै,
पीत बसन…कुण्डल स्वर्ण पड़े || ओम….
जय श्री श्याम हरे…..प्रभु जय श्री श्याम…….
निज भक्तन के तुमने,
निज….पुरण काम करे | ओम् जय….
रतन सिंहासन राजत,
सेवक भक्त खड़े | प्रभु सेवक…
खेवत धूप…दीपक ज्योति जले || ओम्
जय श्री श्याम हरे….प्रभु जय श्री श्याम….
निज भक्तन के तुमने,
निज….पूरण काम करे | ओम् जय….
मोदक धिंर चूरमा,
सुवरण थाल भरे | प्रभु कंचन …..
सेवक भोग लगावत,
सेवक भोग….सिर पर चूवर दुले | ओम् जय….
जय श्री श्याम हरे…प्रभु जय श्री श्याम…….
निज भक्तन के तुमने,
निज…..पूरण काम करे | ओम् जय….
झांझ कटोरा और घड़ीयावल,
शंख मृदंग बजे | प्रभु शंख….
भक्त आरती गांवत,
भक्त आरती…नौवत द्वार धृरे | ओम् जय….
जय श्री श्याम हरे……प्रभु जय श्री श्याम…….
निज भक्तन के तुमने,
निज…….पूरण काम करे | ओम् जय….
खाटूधाम विराजत,
अनुपम रूप धरे | प्रभु अनुपम……..
सेवक खडे चरण में,
सेवक खडे….पूरन काज करे | ओम् जय….
जय श्री श्याम हरे प्रभु जय श्री श्याम…..
निज भक्तन के तुमने,
निज पूरण काम करे | ओम् जय….
जो ध्यावे फल हावे, सब दुःख से उबरे |
प्रभु सब दुःख से………
सेवक निज मुख से,
सेवक निज…..श्री श्याम-श्याम उचरे | ओम्
जय श्री श्याम हरे….प्रभु जय श्री श्याम……
निज भक्तन के तुमने,
निज पुरण काम करे | ओम् जय….
श्री एक श्लोकी रामायण
आदो राम तपोवनादि गमनं हत्वा मृगम् कांचनम् |
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ||
वाली निग्रहणं समुद्र तरणं लंकापुरी दाहनम् |
पश्चत रावण कुम्भकर्ण हननं एतद्धि रामायणम् ||
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