श्री शिवजी का बांटना बारहखड़ी जी की आरती – Shri Shivji ka Bantana Barahakhadi ji ki Aarati
श्री शिवजी का बांटना बारहखड़ी जी की आरती
श्री शिवजी का बांटना बारहखड़ी जी की आरती इस प्रकार है:
धन 2 भोले नाथ बांट दिये
तीन लोक इक पल भर में|
ऐसे दीनदयाल हो दाता
कौड़ी नहीं रखी घर में|
प्रथम दिया ब्रह्मा को वेद
वो बना वेदों का अधीकारी|
विष्णु को दे दिया चक्र सुदर्शन
लक्ष्मी सी सुन्दर नारी|
इन्द्र को दे दी कामधेनु
और ऐरावत सा बलकारी|
कुबेर को सारी वसुधा का
कर दिया तुमने भण्डारी|
अपने पास पात्र नहीं रखा
रखा तो खप्पर कर में| ऐसे|
अमृत तो देवताओं को दे दिया
और आप हलाहल पान किया|
ब्रह्मज्ञान दे दिया उसे
जिसने तुम्हारा ध्यान किया
भागीरथ को गंगा दें दी
सब जग ने स्नान किया|
बड़े 2 पापियों का तुमने
एक पल में कल्याण किया|
अपने नशे में चूर रहो और पियो
भांग नित खप्पर में| ऐसे
रावण को लंका दे दी,
और बीस भुजा दस शीश दिए|
रामचन्द्र को धनुष बाण
और हनुमत को जगदीश दिए|
मन मोहन को मुरली दे दी
और मुकुट तुम ईश दिए|
मुक्ती हेतु काशी में वास
भक्तों को विश्वाबीस दिए|
अपने तन पर वस्त्र न राखा
मगन रहो बाघम्बर में| ऐसे|
नारद को दई बीन और
गन्धर्वों को राग दिया|
ब्राह्मण को दिया कर्मकाण्ड
और सन्यासी को त्याग दिया|
जिस पर तुम्हारी कृपा हुई
उसको तुमने अनुराग दिया|
देवी सिंह कह बनारसी को
सबसे उत्तम भाग दिया|
जिसने पाया उसी ने दिया
महादेव तुम्हारे वर में | ऐसे|
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