श्री शारदा माता जी की आरती – Shri Sharda Mata Ji Ki Aarti
सतना जिले की मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता के इस मंदिर को मैहर देवी का मंदिर कहा जाता है. मैहर का मतलब है मां का हार. मैहर नगरी से 5 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर माता शारदा देवी का वास है. पूरे भारत में सतना का मैहर मंदिर माता शारदा का अकेला मंदिर है. इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरवी, भगवान, हनुमान जी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेष नाग, फूलमति माता, ब्रह्म देव और जलापा देवी की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि अल्हा और उदल जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वह भी शारदा माता के बड़े भक्त हुआ करते थे. इन दोनों ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी. इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था. माता ने उन्हें अमरत्व का आशीर्वाद दिया था. आल्हा माता को शारदा माई कह कर पुकारा करता था|
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श्री शारदा माता जी की आरती इस प्रकार है:
हे शारदे! कहाँ तू बीणा बजा रही है |
किस मंजुज्ञान से तू जग को लुभा रही है |
किस भाव में भवानी तू मग्न हो रही है,
विनती नहीं हमारी क्यों मात सुन रही है |
हम दीन बाल कब से विनती सुना रहे हैं,
चरणों में तेरे माता हम सिर नवा रहे हैं |
अज्ञान तुम हमारा माँ शीघ्र दूर कर दे,
द्रुत ज्ञान शुभ्र हम में माँ शारदे तू भर दे |
बालक सभी जगत के सुत मात है तिहारे,
प्राणों से प्रिय तुझे है हम पुत्र सब दुलारे |
हमको दया मयी ले गोद में पढ़ाओ,
अमृत जगत का हमको मां शारदे पिलाओ |
ह्रदय रुपी पलक में करते है आहो जारी,
हर क्षण ढूंढते है माता तेरी सवारी |
मातेश्वरी तू सुन ले सुन्दर विनय हमारी,
करके दया तू हरले बाधा जगत की सारी |