श्री रविदास जी की आरती – Shri Ravidas Ji Ki Aarti
संत रविदास का नाम शिरोमणि भगतों मे अंकित है| बचपन से ही समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए यह सदा तत्पर रहे| इनके जीवन की छोटी छोटी घटनाओ से इनके जीवन का पता चलता है| समाज मे फैली छुआ-छूत, ऊँच-नीच दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| बचपन से ही रविदास का झुकाव संत मत की तरफ रहा। वे सन्त कबीर के गुरूभाई थे। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उनकी पंक्तियाँ मनुष्य को बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती है। ‘रविदास के पद’, ‘नारद भक्ति सूत्र’ और ‘रविदास की बानी’ उनके प्रमुख संग्रहों में से हैं।
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श्री रविदास जी की आरती इस प्रकार है:
नामु तेरो आरती भजनु मुरारे |
हरि के नाम बिनु झूठे सगल पसारे || रहउ०
नाम तेरा आसानी नाम तेरा उरसा,
नाम तेरा केसरो ले छिटकारे |
नाम तेरा अंभुला नाम तेरा चंदनोघसि,
जपे नाम ले तुझहि कउ चारे |
नाम तेरा दीवा नाम तेरो बाती,
नाम तेरो तेल ले माहि पसारे |
नाम तेरे की जोति जलाई,
भइओ उजिआरो भवन समलारे |
नाम तेरो तागा नाम फूल माला,
भार अठारह सगल जुठारे |
तेरो किया तुझही किया अरपउ,
नामु तेरा तुही चंवर ढोलारे |
दस अठा अठसठे चार खाणी,
इहै वरतणि है संगल संसारे |
कहै रविदास नाम तेरो आरती,
सतिनाम है हरि भोग तुम्हारे |
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