श्री रामायण जी की आरती – Shri Ramayan Ji Ki Aarti
भगवान राम हिंदू धर्म में सबसे लोकप्रिय देवताओं में से है | भगवान राम ने अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के ज्येष्ठ पुत्र के रूप में अयोध्या शहर में जन्म लिया | भगवान राम को आदर्श महिला और सीता माता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है |
राम के जन्मदिन पर रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है | राम ने जिस दिन रावण को मारा था उस दिन दशहरा का त्योहार मनाया जाता है और राम जिस दिन 14 वर्ष के वनवास के बाद वापस अयोध्या आये थे उस दिन दिवाली (दीपावली) का त्योहार मनाया जाता है |
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श्री रामायण जी की आरती इस प्रकार है:
आरती श्री रामायण जी की |
कीरत कलित ललित सिय पिय की |
गावत ब्रह्मादिक मुनि नारत |
बाल्मीक विज्ञानी विशारद |
शुक सनकादि शेष अरु सारद |
वरनि पवन सुत कीरति निकी |
संतन गावत शम्भु भवानी |
असु घट सम्भव मुनि विज्ञानी |
व्यास आदि कवि पुंज बखानी |
काग भूसुनिड गरुड़ के हिय की |
चारों वेद पूरान अष्ठदस |
छहों होण शास्त्र सब ग्रन्थ्न को रस |
तन मन धन संतन को सर्वस |
सारा अंश सम्मत सब ही की |
कलिमल हरनि विषय रस फीकी |
सुभग सिंगार मुक्ती जुवती की |
हरनि रोग भव भूरी अमी की |
तात मात सब विधि तुलसी की |
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