श्री राधा जी की आरती – Shri Radha Ji Ki Aarti
कृष्ण और राधा जी का प्रेम कोए साधारण प्रेम नहीं , अपितु एक अनोखा प्रेम माना गया है| यह प्रेम रहस्य कोई प्रभु का भगत ही समझ सकता है| इतना अटूट प्यार और दुलार शायद ही इतिहास मे देखने को मिले| जितने भी गुरु पीर पैगम्बर हुए, उनमे श्री कृष्ण जी को १६ गुण संपन्न मन गया है| इस के अलावा, इनकी रास लीला भी अपरम्पार है| राधा जी का नाम ,क्रिशन जी के नाम से पहले अत है, जो की अटूट प्यार की निशानी है|
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श्री राधा जी की आरती इस प्रकार है:
आरती श्री वृषभानुसुता की |
मंजु मूर्ति मोहन ममताकी || टेक ||
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि,
विमल विवेकविराग विकासिनि |
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि,
सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ||
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि,
मधुर मनोहर मूरती सोहनि |
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि,
प्रिय अति सदा सखी ललिताकी ||
संतत सेव्य सत मुनि जनकी,
आकर अमित दिव्यगुन गनकी,
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी,
अति अमूल्य सम्पति समता की ||
कृष्णात्मिका, कृषण सहचारिणि,
चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि |
जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि,
आदि अनादिशक्ति विभुताकी ||
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