श्री कृष्णचन्द्र जी की आरती – Shri Kishanchander Ji Ki Aarti
हिंदू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। श्री कृष्ण को पूर्णावतार भी कहा जाता है क्योंकि उनके मृत्यु लोक के सभी चरणों को भोगा है। मान्यता है कि भक्ति-भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करने से सफलता, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी को मक्खन बहुत पसंद होता है। श्री कृष्ण वंदना के लिए लोग “हरे कृष्णा हरे कृष्णा” का जाप करते हैं। साथ ही कृष्ण जी की आरती को भी बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
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श्री कृष्णचन्द्र जी की आरती इस प्रकार है:
आरती युगल किशोर की कीजै |
राधे धन न्यौछावर कीजै || टेक ||
रवि शशि कोटि बदन की शोभा |
ताहि निरख मेरो मन लोभा || आरती
गौर श्याम मुख निरखत रीझै |
प्रभु को रूप नयन भर पीजै || आरती
कंचन थार कपूर की बाती |
हरि आये निर्मल भई छाती || आरती
फूलन के सेज फूलन की माला |
रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला || आरती
मोर मुकुट कर मुरली सोहै |
नटवर वेष देख मन मोहे || आरती
आधा नील पीतपट सारी |
कुंज बिहारी गिरवर धारी || आरती
श्री पुरुषोत्तम गिरवर धारी |
आरती करत सकल ब्रजनारी || आरती
नन्दनन्दन वृषभान किशोरी |
परमानन्द स्वामी अविचल जोरी || आरती