श्री गंगा जी की आरती – Shri Ganga Ji Ki Aarti
गंगा मैया सबसे अधिकतम गहराई वाली नदी तथा पवित्र मानी गई है| इसकी उपासना माँ और देवी के रूप मे की जाती है| न केवल भारत वर्ष, अपितु विशव भर मे अपने सोंदार्ये और महत्व के कारण विश्व भर मे जानी जाती है| इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं। गंगा की इस असीमित शुद्धीकरण क्षमता और सामाजिक श्रद्धा के बावजूद भी इसमे प्रदुषण रोका नहीं जा पा रहा है|
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श्री गंगा जी की आरती इस प्रकार है:
ॐ जय गंगे माता, श्री गंगे माता |
जो नर तुमको ध्यावता, मनवंछित फल पाता |
चन्द्र सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता |
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता |
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता |
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता |
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता |
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता |
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता |
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता |
ओउम जय गंगे माता |
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