शेखीबाज – शिक्षाप्रद कथा
एक व्यक्ति जब पूरे विश्व की यात्रा कर घर वापस लौटा तो लोगों की भीड़ ने उसे घेर लिया| कई दिनों से यही सिलसिला जारी था| वह व्यक्ति अपनी यात्रा के अनुभव खूब बढ़ा-चढ़ा कर उन्हें सुनाता| चूंकि उसके कस्बे के लोग विदेश तो क्या कस्बे से बाहर भी नहीं गए थे| इसलिए वे उसकी बातें सच समझते| इससे वह व्यक्ति और अधिक उत्साहित हो गया और तरह-तरह की गप्पें हांकने लगा| एक समय आया कि सुनने वाले उसकी गप्पबाजी सुनते-सुनते परेशान हो गए|
एक बार वह गप्प हांक रहा था कि वह किस प्रकार खेल के मैदान में लम्बी कूद कूदा| उसने कहा – “भाइयो! मैंने जो कूद कूदी थी, वह शायद ही कभी किसी ने देखी-सुनी हो| यहां तक कि देश के नौजवान खिलाड़ी मेरे रिकॉर्ड के आस-पास भी नहीं पहुंच सके|” उसने सुनने वालों के नेत्रों में अविश्वास के चिह्न देखे तो कहने लगा – “अगर आप लोगों को मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो वहां जाकर किसी से भी पूछ लें!”
एक श्रोता, जो उस व्यक्ति की गप्पें सुन-सुन कर उकता गया था, बोला – “हमें क्या जरूरत है, वहां जाकर तुम्हारे प्रदर्शन के बारे में प्रमाण इकट्ठा करने की| तुम समझ लो कि तुम अभी भी वहीं हो| बस, यहीं कूद कर दिखाओ अपना महान प्रदर्शन| हम विश्वास कर लेंगे|”
शिक्षा: कथनी नहीं ‘करनी’ व्यक्ति का प्रमाण देती है|