पहले सोचो फिर करो – शिक्षाप्रद कथा
एक बार एक बहेलिए ने एक गाने वाली चिड़िया पकड़ी| उसको उसने एक पिंजरे में रख दिया| बहुत दिनों तक तो चिड़िया बड़ी डरी-डरी और उदास रही, मगर शीघ्र ही उसने परिस्थितियों से समझौता कर लिया|
उसने अपने आपको ईश्वर की मर्जी पर छोड़ दिया| किन्तु दिन में गाना गाने का अब भी उसका मन नहीं होता था| अत: उसने रात को गाना गाने की आदत डाल ली|
एक रात जब वह अपने पिंजरे में गा रही थी, तभी एक चमगादड़ उड़ता हुआ आया और उसके पिंजरे पर बैठ गया|
चमगादड़ ने कहा – “ओ मधुर स्वर वाली चिड़िया, तुम्हारी आवाज भी उतनी ही सुंदर है, जितना तुम्हारा शरीर| परंतु तुम्हारी आवाज में एक दर्द है| इसके अलावा अब मैं तुम्हें कभी दिन के समय गाते नहीं सुनता, तुम केवल रात को गाती हो| ऐसा क्यों है?”
“मित्र!” गाने वाली चिड़िया ने उत्तर दिया – “मेरी गाने की आवाज में जो दर्द भरा हुआ है, उसका कारण यह है कि अब मैं स्वतंत्र नहीं हूं| एक समय था, जब मैं स्वतंत्र होती थी और आकाश में विचरण करती थी तथा अपनी पसंद का भोजन खाती थी| आज मैं पिंजरे में डाल दी गई हूं| यहां तो मुझे वही खाना पड़ता है, जो मेरा मालिक मुझे देता है| अब रहा रात को गाने का कारण, तो वह यह है कि मैं दिन के प्रकाश में उस समय पकड़ी गई थी, जब मैं गा रही थी| बहेलिए ने मुझे गाते सुना था और पकड़ लिया था| इसी कारण अब दिन के प्रकाश में मेरा गाना गाने का मन नहीं होता|”
“मगर यह तो तुम्हें तब सोचना था, जब तुम पहली बार पकड़ी गई थीं| अब तो दिन के समय नहीं गाने से तुम्हारे भाग्य पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि अब तो तुम पिंजरे में बंद हो ही चुकी हो| इसमें दिन में न गाने वाली कोई बात नहीं है| प्यारी चिड़िया! समझदार लोग करने से पहले सोचते हैं और नासमझ करने के बाद सोचते हैं|”
शिक्षा: करने से पहले सोचो, करने के बाद सोचना बुद्धिमानों का काम नहीं|