Homeशिक्षाप्रद कथाएँमोर और सारस – शिक्षाप्रद कथा

मोर और सारस – शिक्षाप्रद कथा

मोर और सारस - शिक्षाप्रद कथा

एक मोर और सारस में बहुत गहरी मित्रता थी| वे हमेशा साथ-साथ घूमते थे|
एक बार मोर बहुत प्रसन्न मुद्रा में था| वह सारस का मजाक उड़ाने लगा – “मित्र, मेरे लाजवाब पंखों और रंग-बिरंगी पूंछ को देखो| मैं कितना सुंदर दिखता हूं| क्या मैं रूपवान नहीं दिखता? अब जरा खुद को देखो| तुम तो बिल्कुल ही सुंदर नहीं हो| सिर से पैर तक तुम्हारा एक ही रंग है|” यह कहकर मोर सारस की हंसी उड़ाता हुआ नाचने लगा|

सारस को यह बात पसंद नहीं आई| उसे मोर के इस व्यवहार पर आश्चर्य हुआ| वह समझता था कि मोर तो उसका दोस्त है|

तब सारस ने कहा – “मित्र, इसमें कोई शक नहीं कि तुम्हारे पंख और पूंछ देखने में बहुत सुंदर हैं| तुम दूसरों को अपना नृत्य दिखा कर प्रसन्न कर सकते हो| मगर मुझे दुख के साथ कहना पड़ता है कि तुम्हारे सुंदर पंख और पूंछ किसी काम के नहीं हैं| तुम उड़ नहीं सकते| मुझे देखो मैं आकाश में ऊंचा उड़ सकता हूं|” इतना कहकर सारस ने अपने पंख फड़फड़ाए और आकाश में उड़ गया| आकाश में पहुंच कर वह दुबारा बोला – “मित्र, आओ, अपने पंखों का उपयोग करते हुए मेरे साथ – साथ ऊड़ो|”
परंतु भला मोर कैसे उड़ता|

शिक्षा: घमंड सुंदरता पर नहीं योग्यता पर करो|

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