विश्वामित्र की धमकी
विश्वामित्र से यह सब देखा न गया| वे राजा रानी के पास पहुचें और बोले, “अरे! तुम लोग यंहा बैठे हो और मै तुम्हे नगर भर ढूढ़ता फिर रहा हूं|”
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“प्रणाम मुनिवर!” राजा और रानी ने श्रद्धापूर्वक उनके चरणों का स्पर्श किया|
विश्वामित्र ने आशीर्वाद नहीं दिया, बल्कि कठोर शब्दों में वे बोले, “ठीक है, ठीक है| तुझे मालूम है न हरिश्चंद्र! आज एक माह पूरा हो रहा है| मुझे आज ही अपनी दक्षिणा चाहिए| अन्यथा…”
हरिश्चंद्र ने विनम्रतापूर्वक विश्वामित्र के आशय को समझते हुए कहा, “भगवन! सूर्यास्त होने से पूर्व ही मैं आपकी दक्षिणा दे दूंगा|”
“ठीक है, मै फिर सांय को ही आऊंगा|” यह कहकर विश्वामित्र वंहा से चले गए|