ऊँट का नृत्य

एक बार शेर ने उत्सव की घोसणा की| सभी जानवर आये| कुछ जानवर झुण्ड में तथा कुछ जोडों में आये थे| आनन्द का वातावरण बन गया| उत्सव आरम्भ हुआ| गायन हुआ, नृत्य चला, फिर बन्दर को नाचने के लिए कहा गया| बन्दर आनंदमग्न था| उसने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया| जानवरों ने जमकर उसकी प्रशंसा की| शेर ने उसकी पीठ थपथपाई| बन्दर प्रसिद्ध हो गया|

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किन्तु एक ऊँट ईर्ष्या से जल-भुन गया| ऊँट ने यह प्रमाणित करने के लिए वह बन्दर से अच्छा नर्तक है, वह भी नाचने लगा| उसे अपने शरीर पर नियंत्रण न था| उसने पीछले पाँव को इधर फेंका तथा अगले को उधर| उसकी खुर से कितने ही जानवर घायल हो गये|

अति तो तब हो गयी, जब उसके पाँव से शेर की नाक पर चोट लग गयी| गुस्से में जानवरों ने उस पर आक्रमण कर दिया और ऊँट को मार डाला| रात्रि-भोज में ऊँट का माँस परोसा गया| ऊँट को ईर्ष्यावश नृत्य करने की सजा मिली|