तरकीब

सर्दियों के दिन थे | कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी | इस सर्दी में किसी को भी घर से बाहर निकलना अच्छा नहीं लगता था | एक दिन एक व्यापारी को किसी काम से शहर जाना पड़ा | वह अपने घोड़े पर सवार होकर चल दिया | सर्दी के मारे घोड़ा भी बहुत धीमी चाल चल रहा था |

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व्यापारी को शहर पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई | सर्दी के मारे उसका और उसके घोड़े का बुरा हाल था | यूं लगता था कि उनका शरीर जमा जा रहा है |

व्यापारी ने सोचा, पहले कहीं आग से तापकर सर्दी दूर की जाए | तभी उसने देखा कि एक ढाबे में आग जल रही है और लोग उसके चारों ओर बैठे हाथ सेंक रहे हैं | वे सब लोग हंसी-मजाक करने में व्यस्त थे |

व्यापारी भी उसी ढाबे में चला गया | वहां अलाव के कारण काफी गरमाहट थी | उसे बहुत राहत महसूस हुई | उसने सोचा कि वह भी आग के पास बैठ जाए, परंतु वहां कहीं जगह नहीं थी |

उसने सभी लोगों से हाथ मिलाया | सब लोगों ने उससे हाथ मिलाया परंतु वे सब उसी जगह जमे रहे और अपनी बातों में व्यस्त रहे | कोई भी अपनी जगह छोड़ना नहीं चाहता था |

व्यापारी को मन ही मन क्रोध आ गया था, परंतु वह कर ही क्या सकता था | उसने मन ही मन तरकीब सोची और होटल के मैनेजर को बुलाकर पूछा –

“खाने के लिए गर्म क्या-क्या मिलेगा ?”

होटल के मैनेजर ने कहा – “चिकन का सूप है, राजमा है, ब्रेड है, आलू है, आप क्या खाना पसंद करेंगे ?”

“पहले मेरे घोड़े को खिलाओ उसे जोर की भूख लगी है | उसके लिए एक चिकन सूप भेज दो |” व्यापारी ने कहा |

सब लोग हैरत से व्यापारी की ओर देखने लगे |

एक व्यक्ति बोला – “श्रीमान जी, क्या आपका घोड़ा चिकन सूप पी लेता है ?”

“हां, हां क्यों नहीं, बस सूप खूब गर्म होना चाहिए |”

मैनेजर ने वेटर को बुलाया और कहा – “यह सूप साहब के घोड़े को पिला दो |”

ज्यों ही वेटर आग के पास से उठ कर गया, बाकी सारे लोग भी उठ कर यह देखने चले गए कि देखें, घोड़ा सूप कैसे पीता है ?

व्यापारी जल्दी से अलाव के पास बैठ गया |

कुछ ही देर में वेटर ने आकर कहा – “साहब, आपने घोड़े को सूप देने को कहा था, परंतु आपका घोड़ा सूप नहीं पी रहा है | क्या आप बता सकते हैं कि वह सूप क्यों नहीं पी रहा है |”

व्यापारी ने कहा – “लगता है उसका सूप पीने का मन नहीं है, आप उसके लिए सूखे चने और ब्रेड भेज दीजिए और यह सूप मुझे दे दीजिए |”

सारे लोग व्यापारी को अजीब-सी नजरों से देखने लगे | लेकिन व्यापारी बड़े मजे से अलाव के पास बैठकर गर्म सूप का आनंद लेने लगा |

घोड़ा अड़