स्वार्थ त्याग
बहुत पुरानी बात है| उन दिनों इंग्लैंड और स्पेन के मध्य लड़ाई चल रही थी| लड़ाई के मोर्चे पर अंग्रेजों का एक वीर योद्धा सर किल्पि सिडनी घायल होकर गिर गया|
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उस समय वह कई भीषण चोटों और प्यास से तड़प रहा था|
उसकी फ़ौज के एक सिपाही ने अपने अफ़सर को जब प्यास और चोट से तड़पते देखा, तब वह उनके लिए पानी का एक प्याला भी लेकर आया| वह अफ़सर पानी के प्याले को होठों तक मुश्किल से लाया होगा कि उसकी नजर सामने मैदान में पड़े एक दूसरे सिपाही पर पड़ी| वह उससे भी कहीं अधिक घायल था| किल्पि सिडनी ने अपनी प्यास को दबाकर वह पानी का प्याला अपने से भी अधिक घायल सिपाही की ओर बढ़ाते हुए कहा- “तुम्हारी तड़पन मुझसे कहीं अधिक है, तुम्हारी पानी की जरुरत मेरे से कहीं अधिक है|” यह कहकर वह पानी उन्होंने अपने उस अदने से सिपाही को पिला दिया|
उस सैनिक अफ़सर की उस उद्धारता एवं स्वार्थ-त्याग ने सारी फौज में उत्साह की एक नई लहर व्याप्त कर दी| प्रत्येक मनुष्य में त्याग की भावना होनी चाहिए|