सुख और शांति
ढाई हजार साल पहले की घटना है| बुद्ध एक गांव में ठहरे थे| एक आदमी उनके पास आया और बोला – “भंते, आप तीस साल से लोगों को शांति, सत्य और मोक्ष की बात समझा रहे हैं, लेकिन कितने लोग हैं जिन्हें मोक्ष प्राप्त हो गया?”
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बुद्ध उसकी बात सुनकर बोले – — “तुम आकर मिलना, तब तुम्हारी बात का जवाब दूंगा, लेकिन एक काम करना|”
“क्या?” उस आदमी ने पूछा|
बुद्ध ने कहा – “सारे गांव का चक्कर लगाकर लोगों से लिखवा लाना कि कौन शांति चाहते हैं, कौन सत्य और कौन मोक्ष|”
“आपने यह अच्छा कहा, भन्ते!”वह आदमी चकित होकर बोला – “कौन होगा ऐसा अभागा, जो इन चीजों को नहीं चाहेगा?”
बुद्ध ने कहा – “तुम एक बार पता तो लगाओ कि कौन आदमी किस चीज की कामना करता है|”
उस आदमी ने घंटों गांव में चक्कर लगाया, लेकिन एक भी आदमी ऐसा न मिला, जो शांति, सत्य और मोक्ष चाहता हो| किसी ने कहा – ‘मुझे रोगों से छुटकारा चाहिए|’ किसी ने कहा – ‘मुझे संतान चाहिए|’ किसी ने कहा – ‘मुझे नौकरी चाहिए|’ किसी ने कहा – ‘मुझे लंबी उम्र चाहिए|’
वह आदमी हैरान हो गया| फिर बुद्ध के पास आया| बोला – “यह तो बड़ा अजीब गांव है, महाराज! कोई कुछ चाहता है, कोई कुछ, किंतु शांति, सत्य और मोक्ष की आकांक्षा रखने वाला एक भी आदमी नहीं है|”
बुद्ध ने कहा – “इसमें अजीब क्या है! हममें से ज्यादातर लोग सुख चाहते हैं, शांति नहीं और सुख पाने के लिए वे शांति के उल्टे रास्ते पर चलते हैं| सुख का मार्ग शांति का मार्ग नहीं है|”