सूअर की विनाशलीला
वह भयानक सूअर गुर्राता हुआ अयोध्या पंहुचा और राजा के उपवन में घुसकर बिना भय के लता-वृक्षों को तोड़ने-फोड़ने लगा| कुंजो को उसने नष्ट कर दिया और वृक्षों को जड़ सहित उखाड़ फेंका|
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उसकी विनाशलीला देखकर उपवन के रक्षक उसे घेरकर उस पर बाण वर्षा करने लगे, भालों से उसके शरीर को गोदने लगे| परन्तु उस पर उनके प्रहारों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा उल्टेजब वह जोर से गुर्राकर उनकी ओर झपटता तो वे सभी अपनी-अपनी जान बचाकर इधर-उधर भाग जाते|
तब एक किनारे सुरक्षित खड़े रक्षको के नायक ने अपने उपनायक से कहा, “यह सूअर तो काबू में नहीं आ रहा है| हमें इसकी जानकारी राजा को देनी चाहिए|”
“आप ठीक कहते है, मै जाता हूं| अन्यथा यह महाविनाश कर देगा|” उपनायक ने कहा और पलटकर चला गया|