सिर के बाल मुंडवा दूंगा (बादशाह अकबर और बीरबल)
दिल्ली में एक विद्वान पंडित रहते थे| उनका दरबार में बहुत सम्मान था| पंडितजी बिना सोचे-समझे किसी काम में हाथ नहीं डालते थे और जो वह कह देते उसका पालन करते|
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एक बार पंडितजी भोजन कर रहे थे कि उनके भोजन में बाल निकल आया| उन्होंने अपनी पत्नी से कहा – “देखो, आज तो तुम्हारी पहली भूल के लिए माफ करता हूं, अगर आइंदा ऐसी गलती हुई तो तुम्हारे सिर के बाल मुंडवा दूंगा|”
मगर होनी को कौन टाल सकता है| कुछ समय बाद फिर उनके खाने में बाल निकल आया| उन्होंने क्रोधित होकर नाई को अपनी पत्नी के बाल मुंडवाने के लिए बुलवा लिया| उनकी पत्नी ने डरकर दरवाजा बंद कर लिया| उसने पीहर में अपने भाइयों तक खबर पहुंचवा दी| उसके चारों भाइयों ने आकर अपने बहनोई को बहुत समझाया, मगर पंडितजी टस से मस न हुए|
एक भई बीरबल का परिचित था, उसने बीरबल को वस्तुस्थिति से अवगत कराया|
बीरबल ने कुछसोचते हुए कहा – “तुम चारों सिर मुंडवाकर अपने बहनोई के पास जाओ और इस तरह का पाखंड रचो जैसे कोई मर गया हो| मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आता हूं|”
जब चारों वहां पहुंचे तो पंडितजी नजारा देखकर आश्चर्यचकित रह गए|
उन चारों ने आनन-फानन पंडितजी को बांधा और कफन पहनाकर बीरबल के पास ले गए| बीरबल क्रिया-कर्म का सामान लिए वहां पहुंच चुका था|
यह सब देखकर वहां काफी आदमी इकट्ठा हो गए थे| अपनी ये दुर्दशा देखकर पंडितजी लज्जित हो गए और अपने सालों से रिहाई के लिए रहम की भीख मांगने लगे|
पंडितजी की पत्नी से यह सब न देखा गया| वह दरवाजा खोलकर बाहर निकली और बोली – “यह सब मैं अपनी आंखों के सामने नहीं देख सकती| ये जैसे भी हैं मेरे पति हैं| पति की हंसी करवाकर पत्नी कभी सुखी नहीं रह सकती|” कहकर उसने उन्हें छोड़ने की प्रार्थना की|
पंडितजी को अपने किए पर पछतावा हुआ| उनकी अक्ल ठिकाने लग चुकी थी|
बीरबल ने जो स्वांग रचा था उसका अभिप्राय यह था कि पति के जीते-जी पत्नी का मुंडन नहीं हो सकता| अर्थात पति के मरने के बाद भी पत्नी का मुंडन हो सकता है|
इस प्रकार बीरबल ने उस स्त्री का कष्ट निवारण कर दिया|