सेवा का संकल्प
यह घटना उस समय की है जब इटली अपने एक पड़ोसी देश के साथ युद्ध लड़ रहा था। एक युवक एक पहाड़ी की चोटी पर बैठा हुआ दूरबीन से युद्ध का दृश्य देख रहा था। युद्ध में कुछ सैनिक मर चुके थे और कुछ अपने जीवन की अंतिम घड़ियां गिन रहे थे।
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सैनिकों की दयनीय दशा देखकर वह युवक अत्यंत द्रवित हो गया और उसकी आंखों से आंसू बह निकले। दरअसल वह युवक सम्राट नेपोलियन से मिलने पैरिस गया था, किंतु जब उसे पता चला कि सम्राट मोर्चे पर गए हुए हैं तो वह उनसे मिलने मोर्चे की ओर ही चल पड़ा था। किंतु मोर्चे का दृश्य देख कर वह सम्राट से मिलने की बात बिल्कुल ही भूल बैठा। तभी उसे सूचना मिली कि घायल सैनिक गिरजाघर में हैं तो वह तुरंत उनकी सहायता के लिए वहां जा पहुंचा और उनकी सेवा में लग गया। इस बीच युद्ध समाप्त हो गया।
अब उसके मन में यही बात कौंध रही थी कि कुछ भी हो, घायलों की सेवा के लिए एक ऐसा दल होना चाहिए जो तुरंत मौके पर पहुंच कर उनकी सहायता कर उन्हें नया जीवन प्रदान करे। उसने इस विचार को अंजाम देने के लिए घायलों की सेवा करने वालों का एक ऐसा दल तैयार किया। इसके बाद उसने अपने अथक प्रयासों से इस दल को एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता दिलवा दी। अब वर्तमान में जब कहीं युद्ध छिड़ता है तो उस संस्था के सदस्य तुरंत घायल सैनिकों की सेवा में जुट जाते हैं। वे सदस्य तटस्थ माने जाते हैं और एक विशेष प्रकार की पोशाक पहनते हैं जिस पर एक विशेष चिह्न बना रहता है। उस संस्था का नाम रेडक्रॉस है, जिसका संस्थापक यही युवक था। इस युवक का नाम जीन हेनरी दूना था जो जिनेवा के एक मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुआ था। प्रत्येक वर्ष जीन हेनरी के जन्मदिन 8 मई को रेडक्रॉस दिवस मनाया जाता है।