सत्यवादी राजा हरिशचंद्र
त्रेता युग में राजा हरिशचंद्र राज्य करते थे| वे इक्ष्वाकु वंशी थे, बाद में श्रीरामचंद्र जी भी इसी वंश में हुए| धर्म में उनकी सच्ची निष्ठा थी और वे परम सत्यवादी थे| उनकी कीर्ति दूर-दूर तक फली हुई थी| उनकी पुरोहित महर्षि वशिष्ठ थे, उनका इंद्र की सभा में आना-जाना था|
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देव–दानव सभी उनकी सत्यनिष्ठा के प्रशंसक थे| प्रजा उनके शासनकाल में हर जगह से संतुष्ट रहती थी|
उनके राज्य में न तो किसी का अकाल मृत्यु होती थी और न ही दुर्भिक्ष पड़ता था| जब भी कोई महाराज की प्रशंसा करता तो वे उसे कहते, ‘यह सब मेरे गुरुदेव महर्षि वशिष्ठ की कृपा का फल है|’ ऐसा वे मात्र कहते ही नहीं थे, गुरु चरणों में उनकी अत्यधिक श्रध्दा थी|