रूई चोर (बादशाह अकबर और बीरबल)
बादशाह अकबर हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए दलालों के माध्यम से भारी मात्रा में रुई मंगवाते थे और बहुत ही सस्ती दर पर सूत कातने वाले कारीगरों को दे देते थे, जिससे उनका गुजारा चलता रहता था|
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वे कारीगर सूत कातकर दरबार को वापस लौटा देते और दरबार से वह सूत पुन: व्यापारियों को बेचा जाता था, लेकिन जब हर माह के अंत में हिसाब लगाया जाता तो रुई की मात्रा में गड़बड़ी मिलती| हर तरह से कोशिश करने के बाद भी जब रुई की चोरी पकड़ी नहीं गई तो बादशाह अकबर ने यह काम बीरबल को सौंप दिया| बीरबल ने जांच की तो उसने पाया कि जो दलाल रूई बेचते हैं, गड़बड़ी उन्हीं की तरफ से होती है किंतु इन दलालों में से चोर कौन है …. यह पता नहीं चल पाया था|
काफी कोशिशों के बाद भी जब रूई चोर का पता नहीं चल पाया तो बीरबल ने रूई के सभी दलालों को दरबार में बुलाया| पहले तो वह रूई के व्यवसाय से होने वाले नुकसान की बात करता रहा| फिर कुछ सोचकर बोला – “अगर हालात यही रहे तो हमें यह रूई का व्यापार ही बंद करना पड़ेगा| मैं नहीं चाहता कि एक चोर की वजह से आप सभी दलालों को नुकसान हो, वैसे चोर बहुत चालाक है और आप ही में से कोई एक है| मैं उसे जानता हूं, वह रूई की मात्रा में कमी करके तो चोरी करता ही है और यहां आने के बाद कुछ रूई पगड़ी में भी छिपा लेता है, मैं उससे बाद में अकेले में बात करूंगा|”
बीरबल ने यह सब कहने के बाद सभी दलालों पर पूरी नजर रखी| वह उनकी एक-एक हरकत को देख रहा था| उन दलालों में सचमुच रूई चोर भी था| उसे लगा कि उसकी पगड़ी में शायद रूई लगी हुई है| उसने नजरें बचाकर अपनी पगड़ी पर हाथ फेरा| बीरबल तो यही चाहता था, उसने तुरन्त उसको गिरफ्तार करने का आदेश दिया| जब उससे सख्ती की गई तो उसने रूई की चोरी करना स्वीकार कर लिया| बीरबल ने उसे कारागार भेज दिया| बादशाह अकबर रूई चोर के पकड़े जाने से बेहद खुश हुए|