राम काज करिबे को आतुर
एक बार भरत, लक्ष्मण और शत्रुध्न-तीनों भाइयों ने माता सीता जी से मिलकर विचार किया कि हनुमान जी हमें रामजी की सेवा करने का मौका ही नहीं देते, पूरी सेवा अकेले ही किया करते हैं| अतः अब रामजी की सेवा का पूरा काम हम ही करेंगे, हनुमान जी के लिए कोई भी काम नहीं छोड़ेंगे| ऐसा विचार करके उन्होंने सेवा का पूरा काम आपस में बाँट लिया|
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जब हनुमान जी सेवा के लिए सामने आये, तब उनको रोक दिया और कहा कि आज से प्रभु की सेवा बाँट दी गयी, आपके लिए कोई सेवा नही|
हनुमान जी ने देखा कि भगवान को जम्हाई (जँभाई) आने पर चुटकी बजाने की सेवा किसी ने भी नही ली है| अतः उन्होंने यही सेवा अपने हाथ में ले ली| यह सेवा किसी के खयाल में ही नहीं आयी थी! हनुमान जी में प्रभु की सेवा करने की लगन थी| जिसमें लगन होती है, उसको कोई-न-कोई सेवा मिल ही जाती है| अब हनुमानजी दिनभर राम जी के सामने ही बैठे रहे और उनके मुख की तरफ देखते रहें; क्योंकि राम जी को किस समय जम्हाई आ जाय, इसका क्या पता? जब रात हुई, तब भी हनुमानजी उसी तरह बैठे रहे| भरतादि सभी भाइयों ने हनुमान जी से कहा कि रात में आप यहाँ नहीं बैठे सकते, अब आप चले जायँ| हनुमान जी बोले कि कैसे चला जाऊँ? रात को न जाने कब रामजी को जम्हाई आ जाय! जब बहुत आग्रह, तब हनुमानजी वहां से चले गये और छतपर जाकर बैठ गये| वहाँ बैठकर उन्होंने लगातार चुटकी बजाना शुरू कर दिया, वहाँ बैठकर उन्होंने लगातार चुटकी बजाना शुरू कर दिया, क्योंकि राम जी को न जाने कब जम्हाई आ जाय! यहाँ राम जी को ऐसी जम्हाई आयी कि उनका मुख खुला ही रह गया, बंद हुआ ही नहीं! यह देखकर सीता जी बड़ी व्याकुल हो गयी कि न जाने राम जी को क्या हो गया है! भरतादि सभी भाई आ गये| वैद्यों को बुलाया गया तो वे भी कुछ कर नहीं सके| वसिष्ठ जी आये तो उनको आश्चर्य हुआ कि ऐसी चिन्ताजनक स्थिति में हनुमान जी दिखायी नहीं दे रहे हैं! और सब तो यहाँ है, पर हनुमान जी कहाँ है? खोज करने पर हनुमान जी छतपर बैठे चुटकी बजाते हुए मिले| उनको बुलाया गया और वे राम जी के मुख स्वाभाविक स्थिति में आ गया! अब सबकी समझ में आया कि यह सब लीला हनुमान जी के चुटकी बजाने के कारण ही थी! भगवान् ने यह लीला इसलिए की थी कि जैसे भूखे को अन्न देना ही चाहिए, ऐसे ही सेवा के लिए आतुर हनुमानजी को सेवा का अवसर देना ही चाहिए, बंद नहीं करना चाहिये| फिर भरतादि भाइयों ने ऐसा आग्रह नहीं रखा|