राजकुमार और हंस
एक बालक सिद्धार्थ प्रातःकाल घूमने के लिए बगीचे में गया| बगीचे में बहुत से पक्षी उछल-कूद कर रहे थे|
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कुछ समय पश्चात् उसका भाई देवदत्त भी शिकार के लिए बगीचे में गया| देवदत्त के बाण से आकाश में एक हंस घायल हो गया|
घायल हंस भूमि पर गिर गया| सिद्धार्थ को उस घायल हंस पर दया आयी और वह उसे कुटिया में ले गया| वहाँ उसका उपचार किया| देवदत्त अपने बाण से घायल हंस को लेने के लिए वहाँ आ गया और बोला- यह हंस मुझे दे दो इसे मैंने तीर से मारा है| सिद्धार्थ बोला- जीव को मारना पाप है मैंने इसकी रक्षा की है अतः यह मेरा है| न्याय के लिए दोनों राजा के पास पहुँचे| सिद्धार्थ ने हंस को गोदी में ले रखा था|
राजा ने दोनों की सारी बात सुनी| और फैसला करने में देर न लगी| राजा ने कहा- मारने वाले से बचाने वाले का अधिकार ज्यादा होता है| अतः हंस राजकुमार सिद्धार्थ का है|
शिक्षा- जीवों पर सदैव दया भाव रखना चाहिए|