राजा से फरियाद
उपनायक जब राजा के पास दरबार में पंहुचा तो राजा हरिश्चन्द्र दरबार लगाये बैठे थे| उपनायक ने वंहा पहुंचकर फरियाद की, “महाराज की जय हो| महाराज! एक भयानक सूअर राजकीय उपवन में घुस आया है और भारीउत्पात मचा रहा है| सशस्त्र रक्षक भी उस सूअर से बाग की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं|
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सूअर न तो राक्षस है, न ही दानव| बाण, भाले, पत्थर और लाठियां भी उसे रोक नहीं पा रहे हैं| सभी रक्षक उससे अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे है| किसी की भी हिम्मत उसके सामने जाने की नहीं हो रही हैं|
“अरे! ऐसा कैसा सूअर है वह?” राजा हरिश्चन्द्र चौंककर उठ खड़े हुए और बोले, “चलो,हम स्वयं चलकर उसे देखते हैं|”
राजा ने अपना घोड़ा और कुछ सशस्त्र सैनिक बुलाये और शस्त्रों से लैस होकर उपवन की और चल पड़ें|