राजा हरिश्चंद्र की दीनता
विश्वामित्र की बात सुनकर राजा हरिश्चंद्र ने कहा, “भगवन! मुझसे अपराध हो गया| इस राज्य की प्रत्येक वस्तु पर अब आपका अधिकार है|
“राजा हरिश्चंद्र की दीनता” सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Listen Audio
हम अभी ये सभी राजकीय वस्त्र और आभूषण उतारदेते है और आपको वचन देते हैं कि इस राज्य से बहार जाकर हम अपने परिश्रम से धन जमा करके आपका ढाई भार सोना यथाशीघ्र चूका देंगे|”
“ठीक है, मैं तुझे एक माह का समय और वल्कल वस्त्र पहने की आज्ञा देता हूं|” विश्वामित्र ने हाथ उठाकर कहा, “यदि एक माह के भीतर तूने मुझे ढाई भार सोना नहीं दिया तो तुझे उसके लिए दंडित होना पड़ेगा|”
“आप क्रोध न करे भगवन!” राजा ने हाथ जोड़कर निवेदन किया, “मैं अपने वचन का पालन अवश्य करूंगा और यदि ऐसा नहीं कर सका तो आप द्वारा दिया गया प्रत्येक दंड मुझे स्वीकार हगो|”
ऐसा कहकर राजा हरिश्चंद्र अपने निवास की और चले गए|