प्यार की शक्ति
जापान में एक बहुत बड़े आदमी हुए हैं| उनका नाम था कागावा| लोग उन्हें ‘जापान का गांधी’ कहा करते थे| वास्तव में वे थे भी गांधीजी की ही तरह| वह शिकावा की मामूली-सी बस्ती में बड़ी सादगी से रहते थे और सबको प्यार करते थे|
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उसी शहर में एक शैतान आदमी रहता था| वह किसी के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता था| उसे सब बुरा कहते थे| जब उसने देखा कि चारों ओर कागावा की प्रशंसा होती है और लोग उसे पूजते हैं, तो उसके मन में कागावा के प्रति बड़ी ईर्ष्या पैदा हुई|
वह कागावा का अहित करने की सोचने लगा| सोचते-सोचते उसने तय किया कि उनकी गर्दन काट दे| न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी| ऐसा निश्चय करके वह उनके घर गया और उन्हें सोते से जगाया| कागावा उठे और उस आदमी की लाल-लाल आंखों और हाथ में तलवार देखकर वे समझ गए कि यह आदमी उन्हें मारने आया है, पर उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आई और वे उस आदमी को सद्बुद्धि देने और उसका कल्याण करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने लगे|
उस आदमी ने जब यह देखा तो चकित रह गया| वह तो उस संत को मारने आया था और संत को देखो, वह उसके भले के लिए प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं| उनके चेहरे पर शांति और प्रेम भरी मुस्कराहट खेल रही है|
उसने तलवार फेंक दी और कागावा के चरणों पर गिरकर फूट-फूटकर रोने लगा|
कागावा ने बड़े प्यार से उसकी पीठ और सिर पर हाथ फेरा, उसके आंसू पोंछे और कहा – “कोई बात नहीं, भूल इंसान से ही होती है|”
उस दिन के बाद उस आदमी ने कभी किसी की बुराई नहीं की| उसका सारा जीवन ही बदल गया| शायद इसलिए ही कहा जाता है कि प्यार की शक्ति के आगे कोई शक्ति नहीं टिक सकती|