पतंग का कमाल
चिंग किंग नाम का एक लड़का शिकोकू नामक कस्बे में रहता था | शिकोकू में चारों ओर हरियाली ही हरियाली थी | ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बसा था शिकोकू कस्बा |
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चिंग किंग का पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लगता था | वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था | इसी कारण दोनों की आंखों का तारा था | माता-पिता दोनों ही उसकी शैतानियों को नजरअंदाज करते रहते थे |
चिंग किंग सुबह को बस्ता लेकर घर से स्कूल के लिए निकलता, पर स्कूल जाने के बजाय रास्ते में ही खेलने लग जाता | जब स्कूल के मास्टर उसके माता-पिता से चिंग किंग की शिकायत करते तो उसके माता-पीता उसे खूब समझाया करते |
चिंग किंग को तरह-तरह की चीजें खाने का बहुत शौक था | इसी कारण वह खूब मोटा भी हो गया था | उसके गाल मोटे और गोरे-गोरे थे, आंखें नीली थीं |
चिंग किंग को खेलने में बहुत आनंद आता था | पतंग उड़ाना उसका प्रिय खेल था | वह अपनी पतंग स्वयं ही तैयार करता था | इस बार उसने अपने लिए तितली के आकार की पतंग तैयार की | जब वह अपनी तितली जैसी पतंग उड़ाता, तो दूसरे बच्चे उसकी पतंग देखने के लिए जमा हो जाते थे |
एक दिन चिंग किंग अपनी पतंग उड़ा रहा था | पतंग ऊपर उड़ती चली जा रही थी | चिंग किंग को पतंग उड़ाने में इतना आनंद आ रहा था कि वह डोर छोड़ता जा रहा था | पतंग भी ऊपर और ऊपर होती जा रही थी |
लेकिन यह क्या ! अचानक डोर का अंतिम सिरा चिंग किंग के हाथ के करीब आ गया | वह ऊपर आकाश में अपनी पतंग देखने में मस्त था | जैसे ही उसने डोर को और ढील देनी चाही, डोर का सिरा छूट गया और पतंग आगे की ओर उड़ चली |
चिंग किंग अपनी प्यारी पतंग हाथ से जाते देख रो पड़ा | वह पतंग के पीछे-पीछे दौड़ पड़ा | वह गलियों-गलियों भागा जा रहा था | पर पतंग थी कि रुकने का नाम ही न लेती थी | आगे ही आगे बढ़ती जा रही थी |
चिंग किंग दौड़ते-दौड़ते थक गया, पर अपनी पतंग को यूं ही उड़ जाने देना नहीं चाहता था | वह भागते-भागते खेतों के पास पहुंच गया | जगह-जगह मिट्टी और दलदल थी | चिंग किंग के कपड़े पसीने और मिट्टी से गंदे हो गए |
सुबह से दोपहर और फिर दोपहर से शाम हो गई | चिंग किंग पतंग के पीछे दौड़ते-दौड़ते पहाड़ी पर पहुंच गया | उसने देखा, अब पतंग नीचे होने लगी है | वह धीरे-धीरे चलने लगा |
अचानक पतंग एक बड़े से सुंदर घर की छत पर जाकर अटक गई | चिंग किंग ने देखा रात हो गई थी, वह घर से बहुत दूर निकल आया था |
वह उस मकान में घुस गया और पतंग ले आया | चिंग किंग सोचने लगा, अब इतनी रात हो गई है और मैं थक भी गया हूं, थोड़ा आराम कर लूं, सुबह को यहां से चल दूंगा | वह उसी सुंदर घर में पलंग पर लेट गया | थकान के कारण चिंग किंग को लेटते ही नींद आ गई |
अब उसकी आंख खुली तो वह भौचक्का रह गया | उसने देखा कि उस महल में चारों तरफ चकाचौंध कर देने वाली रोशनी फैली हुई थी | चारों ओर सुंदर परियां नाच रही थीं |
परियों के सुनहरे बाल और सुनहरे पंख थे | वे मधुर संगीत की धुन पर थिरक रही थीं | चिंग किंग को लगा जैसे वह कोई स्वप्न देखा रहा हो | उसने जोर से आंखें मल कर देखा | उसे आंखें मलते देख एक परी उसके पास आ गई |
चिंग किंग बोला – “तुम कौन हो ? मैं यहां कैसे आ गया ?”
परी बोली – “तुम अपनी पतंग लेने आए थे ? यह परी लोक है |”
चिंग किंग ने देखा, पतंग उसके पलंग पर रखी थी | वह बड़ा खुश हुआ | एक परी बोली – “चलो, हम तुम्हें अपनी रानी से मिलवाते हैं, उसे बच्चों से बहुत प्यार है |”
चिंग किंग परियों की रानी के पास आया | परियों की रानी एक बहुत सुंदर राजसिंहासन पर विराजमान थी | उसके हाथ में जादू की छड़ी थी और सिर पर हीरों से जड़ा मुकुट था |
परियों की रानी ने उसके सिर और गालों पर हाथ फेरा, फिर अपने सेवकों को आदेश दिया कि चिंग किंग की खूब खातिर की जाए |
देखते-देखते सभी परियां उसके साथ खेलने लगीं | उन्होंने चिंग किंग को सुंदर-सुंदर वस्त्र पहनने को दिए, वह जो भी भोजन मांगता, तुरंत उसके सामने हाजिर कर दिया जाता | परंतु एक-दो दिन में ही चिंग किंग ऊब गया | वह अपनी पतंग लेकर चल दिया | परंतु अब दरवाजे पर सख्त पहरा था | दरबान ने उसे बाहर जाने से रोक दिया |
चिंग किंग को अब सब ऐशो-आराम बेकार लगने लगे | उसे अपने माता-पिता व घर की याद सताने लगी | परियां उसे बेहद प्यार करने लगी थीं, इस कारण उसे जाने नहीं देना चाहती थीं | परंतु चिंग किंग को वह महल अब जेल प्रतीत होने लगा था | वह बेहद उदास रहता था और अपनी पतंग अपने साथ रखता था |
एक दिन चिंग किंग सो रहा था, तभी उसे स्वप्न दिखाई दिया | उसने देखा उसकी मां उसके बिना बहुत उदास है | उसके पिता भी गुमसुम बैठे हैं | वह बोला – ‘पिताजी, आप इतने चुप क्यों हैं ?”
पिता बोले – ‘हमारा तुम्हारे बिना मन नहीं लगता |’ अचानक उसकी आंख खुल गई | चिंग किंग को अब नींद नहीं आ रही थी | अपनी पतंग को वह गौर से देखने लगा |
चिंग किंग सोचने लगा कि उसे बाहर निकले और पतंग उड़ाए कितने दिन बीत गए हैं, क्या ही अच्छा होता जो मैं पतंग के पीछे-पीछे न दौड़ा होता |
अचानक चिंग किंग के दिमाग में एक तरकीब सूझी, वह जल्दी से उठ बैठा | उसने महल में से एक मजबूत डोर ढूंढ़ ली और अपनी पतंग लेकर छत पर आ गया |
भोर होने वाली थी | चिंग किंग ने पतंग उड़ाना शुरू कर दिया | जब पतंग आसमान की ऊंचाइयों में उड़ने लगी, चिंग किंग ने डोर को कस कर पकड़ लिया और लटक गया |
पतंग आगे उड़ चली, थोड़ा आगे जाकर ही पतंग नीचे गिरने लगी | चिंग किंग ने नीचे देखा तो उसे डर लगने लगा कि अब वह जिंदा नहीं बच पाएगा |
इतने में चिंग किंग धम से नीचे गिर पड़ा | नीचे गीला खेत था, दलदल हो रही थी | वह खुद को संभाल न सका, मिट्टी से लथपथ हो गया | अब वह पतंग छोड़कर घर की ओर भागा और घर पहुंच कर चैन की सांस ली | चिंग किंग के माता-पिता ने उसे गले से लगा लिया |