पहले जानो फिर मानो
एक खरगोश बिल्व (बेल) वृक्ष के नीचे विश्राम की मुद्रा में अधलेटा सोच रहा था, ‘यदि धरती के टूटकर दो टुकड़े हो जाएँ तो क्या होगा?’
तभी पेड़ से टूटकर एक बेल फल उसके सिर पर आ गिरा|
हाय मर गया|’ खरगोश कराहता हुआ ताड़ के सूखे पत्तों पर लुढ़क गया|
‘धरती सचमुच टूटने वाली है? भागकर मुझे अपनी जान बचानी चाहिए |’ यह सोचता किसी तरह उठा और भाग खड़ा हुआ| वह तीव्रगति से भागा चला जा रहा था|
‘अरे भाई, मामला क्या है? कहाँ भागे जा रहे हो?’ उसके दूसरे खरगोश मित्र ने पूछा|
‘कुछ मत पूछो| यदि जान प्यारी है तो भाग चलो यहाँ से|’
दूसरा खरगोश भी उसके पीछे-पीछे हो लिया| भागते-भागते उसने पूछा, ‘आखिर हुआ क्या है? कुछ बताओगे भी?’
‘अरे! धरती टूटने वाली है|’ भागते-भागते पहले खरगोश ने बताया|
थोड़ी देर में भयभीत खरगोशों का एक बड़ा जत्था दौड़ता हुआ दिखाई देने लगा|
धीरे-धीरे यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई कि धरती टूटने वाली है| हाथी, हिरण, चीता आदि सभी पशु अपनी जान बचाने के लिए जंगल से भागने लगे| सब भयभीत थे|
तभी एक शेर वहाँ आ पहुँचा|
उसने दहाड़ते हुए पूछा, ‘तुम सब कहाँ भागे जा रहे हो?’
‘अरे! वनराज आपको पता नही की धरती टूटने वाली है?’ हाथी ने कहा|
‘हूँ…किंतु ऐसा नही हो सकता…यह असंभव है|’ शेर ने कुछ सोचते हुए कहा|
फिर वह पास की एक पहाड़ी पर चढ़ गया और सबको रुक जाने का आदेश दिया|
जंगल के सारे पशु सहमकर रुक गए|
‘तुम लोग क्यों भाग रहे हो? क्या हुआ है? मुझे बताओ|’ शेर ने दहाड़कर पूछा|
‘धरती टूटनेवाली है, महाबली| हमें फौरन यहाँ से निकल जाना चाहिए|’ चीता बोला|
‘किसने देखा की धरती टूट रही है?’ शेर ने पूछा|
‘हाथी ने देखा, पूछिए उससे|’ गीदड़ बोला|
‘नही, मैंने नही देखा, लोमड़ी से पूछिए|’ हाथी बोला|
‘मुझे तो हिरण से पता चला था|’ लोमड़ी ने कहा|
इस तरह अंत में खरगोश को शेर के सामने पेश किया गया|
‘क्या तुमने वास्तव में धरती को टूटते हुए देखा है?’ शेर ने खरगोश की आँखों में आँखे डालते हुए पूछा|
‘जी हाँ, स्वामी| मैंने खुद अपनी आँखों से देखा था|’ खरगोश बोला|
‘कहाँ देखा?’ शेर ने पूछा|
‘मेरे घर (बिल) के बिक्लुल पास, जो ताड़ के झुरमुट में बिल्व वृक्ष के नीचे है| मैं वहाँ लेटा-लेटा सोच रहा था कि यदि धरती टूटने की नौबत आ गई तो मैं क्या करूँगा? तभी मैंने कुछ गिरने की आवाज़ सुनी और भाग खड़ा हुआ|’ एक ही साँस में खरगोश ने सारा वृतांत कह डाला|
शेर कुछ देर तक सोचता रहा, फिर सभी प्राणियों को संबोधित करते हुए बोला, मैं इस खरगोश के साथ जाकर देखते हूँ कि वास्तविकता क्या है| मेरे लौटने तक तुम सब यही ठहरना|’
‘जो आज्ञा महाबली!’ सभी जानवरों ने शेर की बात मान ली|
फिर शेर खरगोश को साथ लेकर चल पड़ा| कुछ ही देर में वे ताड़ वृक्षों के निकट जा पहुँचे|
‘अब मुझे वह जगह दिखाओ, जहाँ तुमने धरती टूटने की आवाज़ सुनी थी| डरों नही, मैं तुम्हारी हर संकट से रक्षा करूँगा|
‘यही है वह बिल्व वृक्ष, जहाँ मैंने वह भयंकर आवाज़ सुनी थी|’ खरगोश ने बिल्व वृक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा|
पेड़ की ओर देखते हुए शेर ने कहा, ‘अच्छा! तुम यहीं रुको| मैं जाँच-पड़ताल करके आता हूँ|’
शेर ने बिल्व वृक्ष के नीचे गिरे ताड़ के पत्तों को ध्यान से देखा|
‘ओह! मैंने ठीक ही सोचा था| सूखे पत्तों पर बेल फल के गिरने की आवाज़ से बेचारा खरगोश डर गया होगा और उसने धरती के टूटने की कल्पना कर ली होगी|’
फिर वह खरगोश को वापस लेकर जंगल के प्राणियों के पास जा पहुँचा ओर उन्हें वास्तविकता बताई| फिर वह सबको संबोधित करते हुए बोला, ‘मित्रों, तुमने यह पता नही लगाया कि सच क्या था? आँख मूंदकर केवल सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करने की भूल करने से आज तुम अनावश्यक ही मुसीबत में पड़ सकते थे|’
शिक्षा: किसी की कही बात पर आखँ मूंद कर विश्वास करना ठीक नही, पहले सत्यता की परख कर लेनी चाहिए| लेकिन खरगोश की बात सुनकर शेष जानवरों ने ऐसा नही किया| अतः सुनी-सुनाई बातों पर भूलकर भी विश्वास नही करना चाहिए|