पढ़ाकू गधा (बादशाह अकबर और बीरबल)
बीरबल को कहीं से एक गधा मिल गया| वह उसे बादशाह अकबर के पास लाया और बोला – “हुजूर, यह गधा काफी बुद्धिमान नजर आ रहा है| यदि इसे पढ़ना सिखाया जाए तो यह पढ़ाकू गधा बन सकता है|”
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“ठीक है, इस गधे को तुम अपने पास रख लो और एक महीने तक इसे पढ़ाकर दरबार में पेश करो|” बादशाह ने कहा|
बीरबल ने तो मजाक किया था किंतु अब बात उसी के ऊपर आ गई थी| अत: अब तो उसे गधे को पढ़ाकू बनाना ही था| एक माह बाद बीरबल उस गधे को लेकर दरबार में उपस्थित हुआ तो बादशाह ने पूछा – “क्यों बीरबल, अब तो गधा पढ़ाकू हो गया होगा?”
“जी हुजूर|” बीरबल ने जवाब दिया और एक मोटी-सी पुस्तक गधे के सामने रख दी| गधा अपनी जीभ से उस पुस्तक के पन्ने पलटने लगा और कुछ देर पन्ने पलटने के बाद जोर-जोर से रेंकने लगा|
यह देखकर बादशाह अकबर हैरान हो गए और उन्होंने बीरबल से पूछा – “कमाल है! तुमने गधे को पढ़ाना कैसे सिखा दिया?”
“हुजूर, गधा पढ़ना सीखा या नहीं… यह तो मैं नहीं जानता| किंतु पहले दिन से ही मैं इस किताब में घास रखता था जो हर दिन के साथ एक पृष्ठ आगे रखी जाती थी| गधा घास खाता… पन्ना पलटता और जिस पृष्ठ पर घास नहीं मिलती तो रेंकने लग जाता| आज यह इकतीसवें पृष्ठ पर रेंका था, क्योंकि उसे आज यहां घास मिलनी चाहिए थी| क्योंकि तीस दिन तक हर दिन अगले पृष्ठ पर इसे घास मिलती थी|”
यह सुनकर बादशाह मुस्करा दिए|